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टाटा फ्लाइओवर बनाये, एनओसी देंगे

जमशेदपुर: जमशेदपुर में फ्लाई ओवर बनाने के मुद्दे पर सरकार ने बुधवार को सदन में बताया कि अगर टाटा स्टील फ्लाई ओवर बनाना चाहती है, तो राज्य सरकार एनओसी देने के लिए तैयार है. विधानसभा में विधायक बन्ना गुप्ता की ओर से उठाये गये सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने यह कहा. विधायक […]

जमशेदपुर: जमशेदपुर में फ्लाई ओवर बनाने के मुद्दे पर सरकार ने बुधवार को सदन में बताया कि अगर टाटा स्टील फ्लाई ओवर बनाना चाहती है, तो राज्य सरकार एनओसी देने के लिए तैयार है.

विधानसभा में विधायक बन्ना गुप्ता की ओर से उठाये गये सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने यह कहा. विधायक बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर में फ्लाइओवर निर्माण का मामला विधानसभा में उठाया.

श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार जमशेदपुर में फ्लाइओवर बनायेगी या नहीं. इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. विधायक श्री गुप्ता ने कहा कि टाटा स्टील फ्लाइओवर बनाना चाहती है. आप (सरकार) खुद नहीं बना रहे हैं और टाटा स्टील को भी बनाने नहीं दे रहे हैं. इस पर मंत्री ने सरकार की ओर से जवाब दाखिल करते हुए कहा कि हम एनओसी देने के लिए तैयार हैं, अगर टाटा स्टील अपने स्तर से फ्लाइओवर बनाये. गौरतलब है कि टाटा स्टील ने लगभग 1600 करोड़ रुपये की लागत से पीपीपी मोड (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत शहर में फ्लाइओवर बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा था.

इसमें राज्य सरकार पार्टनर बनने या 800 करोड़ रुपये तक का निवेश करने की भी बात कही गयी थी. लेकिन सरकार ने इस काम के लिए पार्टनर बनने या फिर पैसे का निवेश करने से साफ इनकार कर दिया है.

प्रोजेक्ट एक नजर में
1600 करोड़ की इस्टर्न कॉरीडोर निर्माण की है योजना

खासमहल चौक से फ्लाइओवर बनाया जाना है, जो गोलमुरी होते हुए सीधे एग्रिको गोल चक्कर पार कर टिमकेन कंपनी के पीछे जायेगा. ताकि बड़ी गाड़ियां बाहर से बाहर ही निकल जाये

टाटा स्टील ने यह परियोजना सरकार को सौंपी थी. इसे पीपीपी मोड में बनाया जाना था

50 फीसदी राज्य सरकार और 50 फीसदी टाटा स्टील को इसमें निवेश करना था

सात साल से अधिक समय बीत गया, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ

सरकार की दलील
फ्लाइओवर टाटा स्टील और अन्य अनुषंगी इकाइयों की बड़ी गाड़ियों के लिए बनाया जायेगा दुर्घटना रोकने के लिए प्रयोग के तौर पर नो इंट्री लगायी गयी, तो दुर्घटना में कमी आयी थी. इससे यह साबित हुआ कि दुर्घटनाएं कंपनियों की गाड़ियों के कारण ज्यादा होती है. इस कारण टाटा स्टील और अन्य कंपनियों को आगे आना चाहिए.

टाटा लीज समझौते के मुताबिक टाटा स्टील को शहर और आसपास नागरिक सुविधाएं प्रदान करना है. इसमें टाटा स्टील को निवेश करना चाहिए न कि सरकार निवेश करेगी

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