रांची: राज्य भर में पुल निर्माण की 50 से अधिक योजनाएं लटकी हुई है. रांची जिले के साथ ही संताल परगना, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, चतरा, गुमला, सिमडेगा सहित अन्य जिलों में पुल की योजनाएं लटकी हुई है. कहीं-कहीं तो उग्रवाद की समस्या की वजह से ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है, तो कहीं-कहीं जमीन अधिग्रहण के मामले में यह फंसा हुआ है. ज्यादातर ग्रामीण पुलों का ही काम ठप पड़ा है. वहीं राष्ट्रीय उच्च पथों पर भी पुल की योजना अधर में है.
हलुवाई नदी पर पुल निर्माण नहीं हो पाया : राष्ट्रीय उच्च पथ 23 रांची-गुमला मार्ग पर हलुवाई नदी पर पुल निर्माण नहीं हो पाया है. काफी अरसे से यह योजना लटकी हुई है. जमीन अधिग्रहण की वजह से यह मामला लटक गया है. जब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा, इसका काम पूरा नहीं होगा. वहीं एनएच 23 पर ही बोकारो-चास पुल का निर्माण भी लटका हुआ है.
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 30 से अधिक पुलों का काम लटका हुआ है. मुख्य रूप से पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा, चतरा, लातेहार, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह व संताल परगना में पुलों का काम लटका हुआ है. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों की वजह से काम नहीं हो पा रहा है.
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मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत 20 से अधिक पुल का काम पेंडिंग है. दो-तीन साल से ये योजनाएं लंबित हैं. सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, गुमला, लातेहार, पलामू, हजारीबाग सहित अन्य जिलों में योजनाएं लंबित है. इसके अलावा कई अन्य पुलों की योजनाएं लंबित थी. बाद में सारी समस्याएं दूर करके उसका निर्माण शुरू कराया गया है. अधिकतर पुल उग्रवादियों के हस्तक्षेप की वजह से लटके हुए हैं. कुछ जगहों पर जमीन की समस्या से पुल नहीं बन पाये हैं.