सिंहभूम में एपेटाइट के 178 मिलियन टन का भंडार मिला
रांची : सिंहभूम में एपेटाइट और मेदिनीनगर में फॉस्फेराइट के भंडार मिले हैं. मेदिनीनगर में फॉस्फेराइट के करीब 50 से 60 मिलियन टन के भंडार का पता चला है. वहीं, सिंहभूम में एपेटाइट के 178 मिलियन टन का भंडार मिला है. इन दोनों से फर्टिलाइजर फॉस्फोरस (खाद) बनाया जाता है, जिसे किसान खेतों में इस्तेमाल करते हैं.
अब झारखंड में इन दोनों के भंडार मिलने से राज्य के किसानों के लिए फर्टिलाइजर (खाद) की जरूरत यहीं पूरी की जा सकती है. देश में फिलहाल खाद का आयात ऑस्ट्रेलिया व अन्य देशों से किया जाता है, तब किसानों की जरूरत पूरी हो पाती है.
दो हजार लोगों को मिल सकता है रोजगार
एपेटाइट और फॉस्फेराइट के खनन के लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) आगे आया है. जेएसएमडीसी के एक अधिकारी ने बताया : अब निगम खान विभाग के पास लीज के लिए आवेदन देगा. निगम इसके लिए प्रयासरत है. बोर्ड मीटिंग में भी यह प्रस्ताव आया है, जिसकी मंजूरी दी गयी है. बताया गया कि दोनों माइंस में करीब दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकते हैं.
क्या है फॉस्फेराइट और एपेटाइट
दोनों एक प्रकार के खनिज हैं, जिनकी प्रोसेसिंग के बाद फर्टिलाइजर (खाद) बनाया जाता है. भारत में फिलहाल फर्टिलाइजर ऑस्ट्रेलिया व अन्य देशों से आयात किये जाते हैं.
– मेदिनीनगर में फॉस्फेराइट के 50 से 60 मिलियन टन के भंडार का पता चला
– झारखंड के किसानों की खाद की जरूरत हो सकेगी पूरी
– दोनों से बनाये जाते हैं खाद
– खनन के लिए आगे आया जेएसएमडीसी
केंद्र ने दिया था निर्देश
खान एवं भूतत्व विभाग के भूतत्व निदेशक जेपी सिंह ने बताया : केंद्र सरकार ने फर्टिलाइजर के भंडार का पता लगाने का निर्देश दिया था. इसके बाद भूतत्व निदेशालय की टीम ने मेदिनीनगर में इसकी खोज की थी. रिपोर्ट इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आइबीएम) के पास भेजी गयी है.
पुरूलिया में भी एपेटाइट का छोटा भंडार है, पर वहां से प बंगाल की भी जरूरत पूरी नहीं हो पाती. झारखंड के दोनों भंडार से खनन आरंभ हो जाये, तो राज्य पूर्वी राज्यों में खाद की जरूरत पूरी कर सकता है.