– मैं बुलबुला सीएस नहीं दिया गया है कोई पॉवर
– राज्य में किसी फ्रंट पर कोई काम नहीं हो रहा है
– साधारण सी योजना पब्लिक फ्रंट पर फेल हो रही है
– मुख्यमंत्री को आइडिया देने पर दूसरे अधिकारी लगा देते हैं बुद्धि
रांची : प्रभारी मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कहा है कि झारखंड के आइएएस अधिकारी उद्दंड हैं. राज्य के डीसी मुख्य सचिव की बात नहीं मान रहे हैं. मैं बुलबुला की तरह का मुख्य सचिव हूं. मुझे एक्शन लेने का पॉवर नहीं दिया गया है. मैं बहुत डिप्रेस महसूस कर रहा हैं.
मुख्य सचिव शनिवार को प्रभात खबर से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा : मैं जो फाइल भेजता हूं, वह मुख्यमंत्री कार्यालय में जाकर अटक जाता है. मुझसे कहा जाता है कि मुख्यमंत्री नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री आइडिया मांगते हैं, तो उसमें दूसरे अधिकारी बुद्धि लगा दते हैं.
राज्य में किसी फ्रंट पर कोई काम नहीं हो रहा है. अंचल अधिकारी खुल्लम-खुल्ला घूस ले रहे हैं. मेरे बोलने से एक सीओ तक का ट्रांसफर नहीं होता है.
दो माह से प्रभार में हूं : मुख्य सचिव ने कहा : पिछले दो माह से मैं प्रभारी के रूप में काम कर रहा हूं. राज्य का सीनियर मोस्ट अधिकारी हूं. राज्य में सीएस के रूप में काम करना चाहता हूं. इसी वजह से अभी तक विवाद नहीं किया. मैं अपनी जमीन से प्यार करता हूं. अपने झारखंड के लिए कुछ करना चाहता हूं.
अपनी बीमारी और जरूरी ऑपरेशन की अनदेखी करते हुए काम कर रहा हूं. जो बन पड़े करने की कोशिश करता हूं. कई बार मुख्यमंत्री से बोला है कि मुझे कंफर्म करीये. थोड़ा पॉवरफुल करीये. अगर मुख्य सचिव के रूप में मैं किसी पर कोई एक्शन नहीं ले सकूंगा, तो चीजों को ठीक कैसे करूंगा.
उन्होंने कहा : अभी तो हर आदमी यही जान रहा है कि आइ एम नोबडी. मुख्यमंत्री मुझे टॉस्क दें. मैं पूरा करूंगा. अभी राज्य में कुछ नहीं हो पा रहा है. मेरे पास कोई पॉवर नहीं है. मैं कुछ इंप्लीमेंट नहीं कर पा रहा. जो कुछ करना चाहता हूं, पब्लिक फ्रंट पर फेल हो जाता है.
रांची का ट्रैफिक सुधारने के लिए बड़ी साधारण सी योजनाएं थी. मैंने समय पूछ कर टॉस्क दिया था, बल्कि ज्यादा ही समय दिया था. कोई काम नहीं हुआ. असल में मैं दबाव नहीं डाल पा रहा हूं. अपनी कोशिशों में सफल नहीं हो पा रहा हूं.
रांची : स्टेट हैंगर में पत्रकारों से बात करते हुए प्रभारी मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कहा : मुख्यमंत्री काफी अच्छे हैं. पहले दिन से ही मुख्यमंत्री और यहां के मंत्री काम करना चाहते हैं. पर यहां बहुत पॉलिटिक्स होती है. जो लोग झारखंड को 14 वर्ष से अटकाये हुए हैं.
इस राज्य का भला नहीं चाहते. झारखंड को चारागाह बनाये हुए हैं. कुछ अधिकारी, व्यवसायी, ठेकेदार और पत्रकार तक हैं इसमें शामिल. ऐसे ही लोग कोई काम नहीं होने देना चाहते. उन्होंने बताया : मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर नियमित मुख्य सचिव नियुक्त करने का आग्रह किया है.
मैं प्रभारी मुख्य सचिव के रूप में काम कर रहा हूं. राज्य की स्थिति और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक स्थायी मुख्य सचिव की नियुक्ति अति आवश्यक है. मैं राज्य में पदस्थापित आइएएस अफसरों में सबसे वरीय हूं. हालांकि मुख्य सचिव के लिए वरीयता कोई एकमात्र फैक्टर नहीं होता है. मुख्य सचिव के स्केल पर प्रोन्नत किसी भी अधिकारी को सरकार मुख्य सचिव बनाने के लिए स्वतंत्र है. अभी राज्य में मुख्य सचिव स्केल के छह पद स्वीकृत हैं, जिनमें से एक रिक्त है.
फिलहाल, मुख्य सचिव पद के लिए सजल चक्रवर्ती (1980 बैच), सुधीर प्रसाद (1981 बैच), आरएस पोद्दार व आदित्य स्वरूप (1982 बैच), और एके पांडेय (1980 बैच) योग्य अधिकारी हैं. एक और रिक्त पद पर जल्द ही एनएन पांडेय या बीके त्रिपाठी भी प्रोन्नत हो जायेंगे. इन सभी अधिकारियों के बीच से किसी को चुन कर मुख्य सचिव बनाया जा सकता है.
कुछ अफसरों को मेरा सीएस बनना रास नहीं आ रहा
सजल चक्रवर्ती ने पत्रकारों से कहा : नीचे के कुछ अधिकारियों को यह रास नहीं आ रहा है कि मैं सीएस कैसे बन गया. ऐसे अधिकारी बड़े घोटाले में अपना दामन बचाने में सफल रहे, जबकि उनके साथवाले लोग जेल में गये.
ऐसे अधिकारी चालाक होते हैं. ऐसे अधिकारी झारखंड में पावर, कोयला इंज्वाय कर रहे हैं. इसमें कुछ घराने भी शामिल हैं. सीएम तो मंझधार में फंसे हैं. उनके बने हुए तो एक साल ही हुआ है. इससे पहले 13 साल तक इन अधिकारियों ने झारखंड को जीर्ण-शीर्ण बनाये रखा. सीएम मंझधार से नौका निकालना चाहते हैं. पर उन्हें ऐसे अधिकारी दिग्भ्रमित कर रहे हैं.
कुछ करने ही नहीं दिया जा रहा
मुख्य सचिव ने कहा : जब तक अधिकारियों पर परफॉरमेंस बेस डंडा नहीं चलेगा, वे नहीं सुधरेंगे. ब्यूरोक्रेट्स बेपरवाह हैं, मंत्री बेबस हैं. एक एसडीओ की लापरवाही पर जब मैं कार्रवाई के लिए लिखता हूं, तो उसे लटका दिया जाता है. मुझे हौवा का सीएस बन कर नहीं रहना है.
इसलिए मुख्यमंत्री से कहा है कि स्थायी सीएस की नियुक्ति कर लें. सीएस ने कहा : मैं जीरो हूं. बैठक में डांटता हूं, तो डीसी उंघते रहते हैं. एक सीएम को उम्मीद रहती है कि सीएस कुछ करेंगे, पर यहां तो करने ही नहीं दिया जा रहा है.