रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद पुलिस विभाग ने नक्सली हिंसा में मरे आम लोगों के आश्रितों की सूची तैयार की है. सूची में उन आश्रितों के नाम को शामिल किया गया है, जिन्होंने सरकारी नौकरी व मुआवजा के लिए जिले के पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के पास आवेदन दिया, लेकिन उन्हें मुआवजा या नौकरी नहीं मिली. पुलिस मुख्यालय को मिली सूची के मुताबिक 200 से अधिक मामले गृह विभाग में लंबित है, जबकि जिलों के उपायुक्तों के कार्यालय में 400 से अधिक मामले लंबित हैं. जिलों के एसपी के द्वारा उपायुक्तों को अनुशंसा की गयी, लेकिन कई जिलों में लंबे समय से अनुकंपा समिति की बैठक ही नहीं हुई है.
डीजीपी राजीव कुमार ने बताया कि कई ऐसे नाम भी हैं, जिनके आश्रितों ने मुआवजा या नौकरी के लिए आवेदन हीं नहीं किया. नक्सली हिंसा में आम लोगों के मारे जाने पर सरकारी नौकरी और चार लाख रुपये मुआवजा के प्रावधान की जानकारी उनके आश्रितों को थी ही नहीं. उल्लेखनीय है कि 15 जुलाई को डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में यह बात सामने आयी थी कि नक्सली हिंसा के शिकार लोगों के आश्रितों को मुआवजा या नौकरी नहीं मिली है.
सीएम ने मांगी है जानकारी
डीजीपी आपके द्वार कार्यक्रम में यह मामला सामने आया कि नक्सली हिंसा के शिकार लोगों के आश्रितों को मुआवजा व नौकरी नहीं मिली है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नामों की जानकारी भी मांगी है.