रांची : राज्य सभा में शुक्रवार को हरमू नदी की बदहाली का मामला उठा. सांसद परिमल नथवाणी ने यह मामला संसद में उठाया. श्री नथवाणी ने कहा कि झारखंड के इस धरोहर को बचाना केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य नहीं आवश्यक है. राज्य सभा में स्पेशल मेंसन के तहत उठाये गये इस मामले में श्री नथवाणी ने कहा कि हरमू नदी रांची की जीवन रेखा बन सकती है.
लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण यह नदी आज कचरे के अंबार में तब्दील हो गयी है. नदी में चारों ओर अतिक्रमण हो गया है. इसके पीछे राजनीति मंशा हो या व्यापारिक लालसा नुकसान रांची के लोगों का ही हो रहा है. नदी की स्थिति में सुधार के लिए राज्य प्रशासन की ओर से 15 करोड़ रुपये दिये गये हैं, पर यह पर्याप्त नहीं है. नदी के जीर्णोद्धार के लिए केंद्र का सहयोग आवश्यक है.
इससे पूर्व 14 जुलाई को भी श्री नथवाणी ने इस मामले को राज्यसभा में उठाया था. प्रश्न के जवाब में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा पुनरुद्धार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने बताया कि हरमू नदी को केंद्र सरकार द्वारा प्रदूषित नदी के लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. झारखंड सरकार की ओर से इस आशय का कोई प्रस्ताव भी नहीं भेजा गया था.
मंत्री ने झारखंड सरकार के हवाले से बताया कि 13वें वित्त आयोग द्वारा इस मद में 15 करोड़ रुपये दिये गये हैं. राशि केवल दो किलोमीटर क्षेत्र के लिए दी गयी है, जो कि नदी के पुनरुद्धार के लिए पर्याप्त नहीं है. इधर श्री नथवाणी ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर तत्काल मामले में पहल करने की मांग की है. मुख्य सचिव को लिखे पत्र में श्री नथवाणी ने झारखंड सरकार को भरोसा दिलाया है कि हरमू नदी के पुनरुद्धार के लिए वे अपने स्तर से भी पूरा सहयोग करेंगे.