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पुल नहीं, टापू बने गुमला के 300 गांव

गुमला, विशुनपुर, रायडीह व जारी प्रखंड के कई गांवों का संपर्क कटा गुमला : पुल-पुलिया के नहीं बनने से गुमला, विशुनपुर, रायडीह व जारी प्रखंड के 300 से अधिक गांव टापू बन गये हैं. जिला, प्रखंड व पंचायत मुख्यालय से इनका संपर्क कट गया है. कई ऐसे गांव हैं, जहां तक जाने के लिए अभी […]

गुमला, विशुनपुर, रायडीह व जारी प्रखंड के कई गांवों का संपर्क कटा

गुमला : पुल-पुलिया के नहीं बनने से गुमला, विशुनपुर, रायडीह व जारी प्रखंड के 300 से अधिक गांव टापू बन गये हैं. जिला, प्रखंड व पंचायत मुख्यालय से इनका संपर्क कट गया है. कई ऐसे गांव हैं, जहां तक जाने के लिए अभी भी नाव या नदी पार कर जाना पड़ता है. बरसात आते ही इन गांवों की जिंदगी ठहर जाती है. कुछ गांवों में पुल-पुलिया बन रहे हैं, लेकिन नक्सलियों के कारण काम रुका हुआ है. वहीं कई नदियों पर बने पुल भ्रष्टाचार के कारण ध्वस्त हो गये.

जोरी नदी पर 22 वर्ष से पुल अधूरा : विशुनपुर प्रखंड में जोरी नदी पर 22 वर्ष से पुल अधूरा पड़ा है. नक्सलियों ने यहां काम बंद करा दिया था. आज तक काम शुरू नहीं हो पाया है. पुल के नहीं रहने से इस बरसात में प्रखंड के बनालात, घाघरा, तेमरकचा, निरासी, बोरहा, जमटी, कुमारी समेत 35 गांवों का संपर्क कट सा गया है. ग्रामीणों के अलावा पुलिस को इलाके में गश्ती करने व किसी घटना होने पर घटनास्थल पर पहुंचने में भारी परेशानी होती है.

छत्तीसगढ़ के रास्ते से लोग करते हैं सफर : रायडीह प्रखंड के मरियम टोली से होकर शंख नदी बहती है. यहां पांच साल से पुल अधूरा है. केमटे पंचायत पूरी तरह टापू में बसा हुआ है. अगर यहां के लोगों को रायडीह ब्लॉक आना हो,

तो उन्हें छत्तीसगढ़ से होकर आना पड़ता है.

शंख नदी पर पुल निर्माण कार्य पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया. लेकिन अभी तक पुल नहीं बना है. इस पुल के नहीं बनने से प्रखंड की पांच हजार आबादी प्रभावित है.

तीन माह की खुराकी जुटा लेते हैं लोग

जारी प्रखंड के पाकरटोली, धोबारी, उरईकोना, बंधकोना समेत कई गांव भी इस बरसात में टापू बन गये हैं. इन गांवों के बीच से नदी गुजरती है. पुल नहीं होने से ग्रामीण बरसात शुरू होने से पहले ही तीन माह की खुराकी जुटा लेते हैं. ताकि नदी का जलस्तर बढ़ने से परेशानी न हो.

नदी का जलस्तर कम होने का करते हैं इंतजार

गुमला प्रखंड के हरिनाखाड़ गांव जाने के लिए सात छोटी नदियों को पार करना पड़ता है. लेकिन इनमें से एक भी नदी में पर पुल नहीं बना है. इससे गांव के 100 परिवार को तीन माह तक शहरी जीवन से कटा रहना पड़ता है. गांव घने जंगल के बीच में बसा है. अगर कुछ हो जाये या कोई बीमार हो जाये, तो लोगों को नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार करना पड़ता है.

ने कहा कि आशा और उम्मीद की सब्जबाग दिखाकर नरेंद्र मोदी ने देश की जनता का विश्वास हासिल किया. लेकिन सत्ता में जाने के बाद वह जनता से किये गये वादों को भूल गये हैं. कहने लगे कि देश के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे. वहीं जब कांग्रेस के राज्य में महंगाई बढ़ती थी, तो भाजपा वाले विरोध करते थे. लेकिन आज महंगाई को कड़वी दवा का नाम देकर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं. पूर्व मंत्री संकटेश्वर सिंह ने कहा कि मार्केटिंग और कॉरपोरेट घरानों के सहयोग से बने सरकार से जनहित की अपेक्षा नहीं की जा सकती. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार ने एक के बाद एक जनविरोधी फैसला लिये, इसके बाद से जो लोग चुनाव के पूर्व अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा लगा रहे थे, वह भूमिगत हो गये. वह केवल यह तर्क दे रहे हैं कि कड़वे फैसले लिये जा रहे हैं. जनता इस बात को भलीभांति समझ रही है. महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष पूर्णिमा पांडेय ने कहा कि मोदी सरकार युवा और महिलाओं के आंख में धूल झोंक रहा है.

महंगाई से सबसे अधिक परेशान महिलाएं हैं. कांग्रेसी नेता विजय चौबे ने कहा कि जनता के पक्ष में कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा. सभा के बाद कांग्रेसियों ने मोदी सरकार का पुतला फूंका. उसके बाद राज्यपाल के नाम पर संबोधित ज्ञापन पलामू उपायुक्त को सौंपा. मौके पर विजय कुमार चौबे, इरफान सिद्दकी, अजय कुमार तिवारी, सज्जाद खां, कैशर जावेद, बसंत सिंह, तपेश्वर प्रसाद, जीतेंद्र कमलापुरी, विश्रम दुबे, अलाउद्दीन अंसारी, शमीम अहमद राइन, सागर दास, राजेंद्र अग्रवाल, ब्रजकिशोर तिवारी, श्यामाकांत तिवारी, राजकुमार सिंह, धनंजय तिवारी, राजमोहन पोलू, भूषणबिहारी चौबे, रिजवान खान, अजीत तिवारी, कृष्णाकांत दुबे, सत्या दुबे, गुप्तेश्वर पांडेय, एकराम हुसैन, नवीन पांडेय सहित कई लोग मौजूद थे.

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