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13 साल के झारखंड में बदले15 चेयरमैन

रांची: झारखंड में हर प्रकार के पावर प्लांट लग सकते हैं. यहां सोलर, थर्मल, हाइडल और न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की पूरी संभावना है. पर इसके लिए सरकार में स्थिरता रहना जरूरी है. 13 साल के झारखंड में वह 15 वें चेयरमैन हैं. बिजली होगी; तभी उद्योग लगेंगे, उद्योग लगेंगे, तो ग्रोथ होगा. होटल रेडिसन […]

रांची: झारखंड में हर प्रकार के पावर प्लांट लग सकते हैं. यहां सोलर, थर्मल, हाइडल और न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की पूरी संभावना है. पर इसके लिए सरकार में स्थिरता रहना जरूरी है. 13 साल के झारखंड में वह 15 वें चेयरमैन हैं. बिजली होगी; तभी उद्योग लगेंगे, उद्योग लगेंगे, तो ग्रोथ होगा.

होटल रेडिसन ब्लू में एनर्जाइजिंग झारखंड 2014 विषय पर सेमिनार में झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के सीएमडी एसएन वर्मा ने उक्त बातें कही. कार्यक्रम का आयोजन इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स (आइसीसी) के तत्वावधान में किया गया था.

सेमिनार के मुख्य अतिथि ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद एक भी पावर प्लांट नहीं लगा है. लेकिन राज्य सरकार पतरातू में 1320 मेगावाट और 16 सौ मेगावाट का पावर प्लांट लगायेगी. भवनाथपुर में 1320 मेगावाट व तेनुघाट में 1320 मेगावाट का पावर प्लांट का निर्माण होगा. 10 से अधिक निजी निवेशक भी हैं. पांच साल के बाद झारखंड पावर हब बन जायेगा.

सोलर पावर प्लांट के लिए भी 11 तारीख को टेंडर होने जा रहा है. स्टेट एक्सपर्ट अरेजल कमेटी के चेयरमैन एके सक्सेना ने कहा कि झारखंड मे पावर प्लांट के काम को प्राथमिकता से पूरा किया जाना चाहिए. सरकार को मिनी-माइक्रो हाइडल प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिए.

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