रांची:आगामी केंद्रीय बजट को लेकर हो रही संगोष्ठी के दौरान केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की जुबान फिसल गयी. उन्होंने भाषण देने के दौरान झारखंड के सीएम पद के सवाल पर अभद्र टिप्पणी कर दी. श्री सिन्हा ने कहा कि झारखंड में विकास की बात करना महापाप है. मैं जहां भी जाता हूं मीडिया वाले मेरे मुंह में माइक लगा कर एक ही सवाल करते हैं. झारखंड में कौन मुख्यमंत्री बनेगा? कोई.. मुख्यमंत्री बने, क्या फर्क पड़ता है. सवाल यह है कि आखिर झारखंड की जनता का क्या होगा.
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि झारखंड को विशेष राज्य का दरजा के साथ विशेष पैकेज मिलना चाहिए. इसमें संताल परगना के लिए अलग से व्यवस्था होनी चाहिए. संताल परगना के कई इलाके आज भी काफी पिछड़े हैं. विशेष राज्य प्राप्त करने वाले राज्यों को जो फंड मिलते हैं, उसमें 90 फीसदी राशि अनुदान और 10 फीसदी लोन रहता है. इससे राज्य पर कर्ज का दबाव नहीं पड़ता है. श्री सिन्हा मंगलवार को चेंबर भवन में आयोजित संगोष्ठी ‘आगामी केंद्रीय बजट में झारखंड की अपेक्षाएं’ विषय पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की सबसे बड़ी चुनौती है कि गिरती अर्थव्यवस्था को संभाल कर ऊपर की दिशा में कैसे ले जायें? बजट में इस बात का विशेष ध्यान रखा जायेगा कि सकल घरेलू उत्पाद की दर को कैसे पांच प्रतिशत से ऊपर रखा जाये. अगर देश की तरक्की होगी तो इसका लाभ राज्य को भी मिलेगा. मौके पर मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, चेंबर अध्यक्ष विकास सिंह, पवन शर्मा, विनय अग्रवाल समेत कई लोग उपस्थित थे.
सिंचाई की सुविधा नहीं : किशोर
पूर्व विधायक राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि झारखंड में विकास के लिए कृषि और सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. यहां पर कुल 29 लाख हेक्टेयर सिंचाई युक्त भूमि है, लेकिन इसमें से 22 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है. राज्य में माइंडसेट बदलने की भी जरूरत है.
काफी टफ बजट होगा : हरिश्वर
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने कहा कि यह काफी टफ बजट होगा. देश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. चूंकि यह पूर्ण बहुमत वाली सरकार का पहले वर्ष का बजट है, इसलिए इसमें लांग टर्म डेवलपमेंट की बात होगी. इसमें टैक्स को इंप्रूव किया जा सकता है. सोशल रिफॉर्म की जरूरत है.
यशवंत सिन्हा ने क्या-क्या कहा
अरबन एरिया की तरह ग्रामीण क्षेत्रों का भी विकास हो
झारखंड की समस्या यह है कि यहां कोई काम नहीं करना चाहता
जो काम तीन साल में नहीं हुआ, आंदोलन और प्रदर्शन के बाद दो सप्ताह में गांव में बिजली पहुंच गयी
वित्त मंत्रियों की बैठक में नहीं गये मंत्री, कैसे होगी झारखंड की सशक्त दावेदारी
नक्सलवाद के लिए मिलने वाली राशि का उपयोग उपायुक्त के गार्डेन में न हो
पुरानी परंपरा बदल कर जनप्रतिनिधियों को जिम्मेवारी सौंपे, अच्छा काम नहीं करेंगे जनता खुद बदल देगी