आज ही के दिन माओवादियों ने एसपी सहित पांच पुलिसकर्मियों की थी हत्या
एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड के एक साल पूरे, अब तक
आनंद जायसवाल
दुमका : बुधवार को पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के शहादत के एक साल पूरे हो जायेंगे. साल भर पहले अदम्य साहस का परिचय देते हुए नक्सलियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के क्र म में वे काठीकुंड के अमतल्ला के निकट शहीद हो गये थे. इस साल भर के दौरान नक्सलियों पर जितना शिकंजा पुलिस को करना चाहिए था, उससे कहीं अधिक व जबरदस्त धमक नक्सलियों ने अपनी गतिविधियों और हिंसक वारदातों से दर्ज करायी है. अनुसंधान धीमा रहने तथा नक्सलियों पर शिकंजा कसने में पुलिस की सुस्ती दिखी है.
यही वजह रही कि 2 जुलाई 2013 की घटना से दुमका जिला उबर भी नहीं पाया था कि 24 अप्रैल 2014 को लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट कर सुरक्षाकर्मियों एवं मतदानकर्मियों से भरी बस को शिकारीपाड़ा के राजबांध-सरसाजोल के बीच उड़ा दिया था.
इस हादसे में भी पांच पुलिसकर्मी और दो मतदानकर्मी के अलावा एक बस कर्मी शहीद हो गये थे. नक्सलियों ने भारी मात्र में हथियार व कारतूस भी लूट लिया था.
साल भर की अवधि में दुमका पुलिस ने अमरजीत बलिहार कांड में शामिल चार नक्सलियों को ही गिरफ्तार कर पाने में सफलता हासिल की है. इसमें बड़ा नाम दाउद उर्फ विमल हेंब्रम था,जिसे पाकुड़ जिला पुलिस ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था. इसके अलावा जिन तीन नक्सलियों की गिरफ्तारी की गयी और पुलिस ने उसमें इनकी संलिप्तता पाई, उनमें सतन बेसरा, सनातन बास्की एवं वकील हेंब्रम शामिल है.
प्रवील और ताला दा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती: दुमका पुलिस के लिए नक्सली एरिया कमांडर प्रवील दा और ताला दा उर्फ सहदेव राय बड़ी चुनौती है. हाल के दिनों में भाकपा माओवादियों ने जितनी भी बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है, उनमें से अधिकांश में इन दोनों के नाम आये हैं. प्रवील दा गिरिडीह के पीरतांड इलाके का रहने वाला है और लंबे समय से दुमका-पाकुड़ इलाके में माओवादी दस्ते को लीड कर रहा है. वहीं ताला दा उर्फ सहदेव राय अपने भाई रामलाल राय की गिरफ्तारी के बाद दूसरे दस्ते को लीड कर रहा है.
डीआइजी की बैठक से वापस लौटते वक्त हुआ था हमला
अमरजीत बलिहार 2 जुलाई 2013 को डीआईजी द्वारा बुलायी गयी प्रक्षेत्रीय बैठक में भाग लेने दुमका आये थे. बैठक के बाद जब वे दुमका से पाकुड़ लौट रहे थे, तब काठीकुंड से आगे जमनी क्रशर प्लांट से चंद मीटर के फासले पर नक्सलियों ने उनके स्कार्पियो पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. स्व बलिहार ने मोरचा लेने और जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की थी. अपनी पिस्टल से कुछ देर तक वे नक्सलियों द्वारा किये जा रहे गोलियों के बौछार से लड़ते रहे और जवाबी फायरिंग भी करते रहे. लेकिन पिस्टल की गोली खत्म हो जाने व घिर जाने की वजह से वे बच नहीं सके और शहीद हो गये थे.
दाउद की गिरफ्तारी पुलिस की उपलब्धि
‘‘घटना के मामले में पुलिस अनुसंधान जारी है. अब तक दाउद की गिरफ्तारी इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण रही है, जिसने स्व बलिहार पर गोली चलायी थी. उसके पास से एक शहीद पुलिस जवान का मोबाइल भी बरामद हुआ था, हत्या के तुरंत बाद उसने पुलिसकर्मियों को शहीदों के मोबाइल से फोन कर धमकी भी दी थी. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पारा मिलेट्री फोर्स तैनात किये गये हैं. नक्सलवाद के खात्मे तक हम अभियान चलाते रहेंगे.
-अनूप टी मैथ्यू, एसपी, दुमका