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यह क्या नौटंकी है मंत्री महोदय

टाउनलीज नवीकरण मुद्दे पर पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी ने त्रिपाठी को घेरा, पूछा पांच प्रतिशत सलामी पर उठाया सवाल मेदिनीनगर : टाउनलीज नवीकरण के मुद्दे पर पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने ग्रामीण विकास मंत्री केएन त्रिपाठी को घेरा है. उन्होंने कहा है कि 2005 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा ने शिविर लगा […]

टाउनलीज नवीकरण मुद्दे पर पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी ने त्रिपाठी को घेरा, पूछा

पांच प्रतिशत सलामी पर उठाया सवाल

मेदिनीनगर : टाउनलीज नवीकरण के मुद्दे पर पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने ग्रामीण विकास मंत्री केएन त्रिपाठी को घेरा है. उन्होंने कहा है कि 2005 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा ने शिविर लगा कर लीज नवीकरण मामला निबटाने की घोषणा की थी, लेकिन उस समय जब मुझे यह जानकारी मिली कि लीजधारियों को लीज नवीकरण के लिए बाजार मूल्य की पांच प्रतिशत सलामी देनी पड़ेगी. तब मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर यह कहा था कि सरकार का काम जनता को राहत देना है, न कि आहत करना. उसके बाद शिविर नहीं लगा.

मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में श्री नामधारी ने कहा कि इस घटना के लगभग 10 वर्ष बाद मंत्री सह क्षेत्रीय विधायक पांच प्रतिशत सलामी के आधार पर लीज नवीकरण का उदघाटन करने के नाम पर नाटक कर रहे हैं. श्री नामधारी ने कहा कि मंत्री महोदय कै बिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री से यह क्यों नहीं पूछते कि टाटा की जब 10 हजार एकड़ जमीन की लीज नवीकरण बिना सलामी के हो सकता है, तो वैसे लीजधारी जिनके पास 5-10 डिसमिल जमीन है, उनसे आखिर सलामी क्यों वसूली जा रही है. श्री नामधारी ने कहा कि यदि मंत्री केएन त्रिपाठी लीज नवीकरण में सलामी की व्यवस्था खत्म करा दें, तो वह भी इस कार्य के लिए उनकी प्रशंसा करेंगे. अन्यथा बेहतर यही है कि मंत्री इस नाम पर जनता के आंख में धुल झोंकना बंद करें. मौके पर युवा नेता दिलीप सिंह नामधारी, जगनारायण पांडेय सहित कई लोग मौजूद थे.

मुंडा नहीं चाहते थे कि मुझे श्रेय मिले : कांफ्रेंस में श्री नामधारी ने इसका भी खुलासा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा से उनकी नहीं बनती. 2005 में जब उन्होंने पत्र लिखा था, तो श्री मुंडा ने शिविर स्थगित कर दी थी. क्योंकि श्री मुंडा को यह पता था कि यदि फ्री होल्ड हो जायेगा, तो इसका सारा श्रेय उन्हें मिल जायेगा. इसलिए अजरुन मुंडा ने शिविर को स्थगित करना श्रेयस्कर समझा. श्री नामधारी ने कहा कि 1995 में जब वह एकीकृत बिहार में जब राजस्व मंत्री थे, तो उस समय खास-महाल की जमीन को फ्री होल्ड कराने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया. मंत्री पद से इस्तीफा के पीछे एक वजह यह भी थी.

कुछ नहीं करने से बेहतर है कुछ करना

मेदिनीनगर : राज्य के ग्रामीण विकास, श्रम नियोजन व पंचायती राज मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा कि कुछ नहीं करने से कुछ करना अच्छा है. जहां तक टाउन लीज नवीकरण का सवाल है, तो इसमें लोगों को राहत मिले. इसके लिए वह सक्रियता के साथ लगे हैं. लेकिन परेशानी यह है कि पिछले 30 वर्ष से टाउन लीज के भूमि का दर निर्धारण नहीं हुआ है. भूमि पर लोगों का कानून हक नहीं है.

पहले वह इस हक को दिलाना चाहते हैं और उसके बाद लोगों को अधिक से अधिक राहत कैसे मिले, इसके लिए प्रयास होगा. इस काम में थोड़ा वक्त लगेगा. वैसे लोग जो टाउन लीज की भूमि का दर निर्धारण नहीं करा सकें, अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए यह कहा कि जमीन फ्री होल्ड हो जायेगा, पर पर्याप्त अवसर मिलने के बाद भी कुछ नहीं कर सकें और आज दूसरे के कार्यो पर सवाल उठाते हैं. क्या ऐसे लोगों को कुछ कहने का नैतिक अधिकार है? वैसे लोगों को पहले मेरे द्वारा कराये गयेकार्यो की प्रशंसा करनी चाहिए, जो पिछले 30 वर्षो से लंबित था, जिसे उन्होंने प्रयास कर पूरा कराया है. कार्य-संस्कृति बदली है, विकास की गति तेज हुई है. इस बदलाव को लोग महसूस कर रहे हैं.

श्री त्रिपाठी पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी द्वारा टाउन लीज के मुद्दे पर जो बयान दिया गया है, उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दर निर्धारण की फाइल सीएम के पास है. एक-दो दिन में उसका निष्पादन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जो लोग जनता को गुमराह करना चाहते हैं, वह अपने मकसद में सफल नहीं होंगे.

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