रांची : रांची रेंज में उग्रवाद और नक्सल प्रभावित जिला खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा की अपेक्षा राजधानी रांची में अधिक हत्याएं होती हैं. इस बात की पुष्टि पुलिस द्वारा जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर के अंत तक पांच जिलों में हुई अापराधिक घटनाओं के आंकड़ों से होती है. आंकड़ों के अनुसार एक ओर जहां […]
रांची : रांची रेंज में उग्रवाद और नक्सल प्रभावित जिला खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा की अपेक्षा राजधानी रांची में अधिक हत्याएं होती हैं. इस बात की पुष्टि पुलिस द्वारा जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर के अंत तक पांच जिलों में हुई अापराधिक घटनाओं के आंकड़ों से होती है.
आंकड़ों के अनुसार एक ओर जहां खूंटी में 75, सिमडेगा में 48, लोहरदगा में 32, गुमला में 137 हत्याएं हुई. वहीं, दूसरी ओर राजधानी में सबसे अधिक 187 हत्याएं हुई. राजधानी में बात- बात पर हत्या की घटना होती है. आंकड़ों के अनुसार डकैती, लूट, गृहभेदन, वाहन चोरी, अपहरण, रेप, रंगदारी, ठगी या जालसाजी, दहेज के लिए प्रताड़ित करने को लेकर दर्ज मामलों में राजधानी का स्थान पहले स्थान पर है.
इस लिहाज से अब यह भी स्पष्ट होने लगा है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा राजधानी में गंभीर अपराध ज्यादा होते हैं. विशेष कर महिला प्रताड़ना और दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित करने की घटना ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में अधिक होती है.
कहीं ऐसा तो नहीं कि राजधानी की महिलाएं, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं से अधिक जागरूक होती हैं, जिसके कारण वे अपने ऊपर होनेवाले अत्याचार को लेकर अधिक गंभीर होती हैं और तत्काल मामला दर्ज कराती हैं. वहीं, डायन प्रताड़ना के मामले में गुमला के बाद राजधानी का नाम दूसरे स्थान पर है. मतलब दूसरे जिले की अपेक्षा राजधानी की महिलाओं को डायन बोल कर अधिक प्रताड़ित किया जाता है.