रांची: राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में डीवीसी से बिजली खरीद के मद में दी जाने वाली राशि का प्रावधान नहीं किया है. सरकार डीवीसी से बिजली खरीदने के एवज में डीवीसी के एलसी अकाउंट के लिए प्रतिमाह 50 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि रिसोर्स गैप में देती थी.
वहीं 83.33 करोड़ व 50 करोड़ रुपये डीवीसी से बिजली खरीद के मद में देती थी, पर 9.6.2014 को ऊर्जा विभाग द्वारा जारी स्वीकृत्यादेश में रिसोर्स गैप में 83.33 करोड़ रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 12 महीनों के लिए एक हजार करोड़ रुपये का आदेश जारी किया गया है, जबकि डीवीसी मद में अतिरिक्त 600 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं किया गया है. इस पर एतराज जताते हुए झारखंड ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी एसएन वर्मा ने सरकार से पूरी राशि (कुल 1600 करोड़ रुपये) का भुगतान करने का आग्रह किया है.
इस बाबत पिछले दिनों श्री वर्मा ने ऊर्जा सचिव को एक पत्र भी लिखा है. पत्र में सीएमडी ने लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट में रिसोर्स गैप के रूप में एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जिसके विरुद्ध 9.6.14 को एक हजार करोड़ रुपये की राशि का स्वीकृत्यादेश निकल चुका है. उन्होंने लिखा है कि डीवीसी से बिजली खरीदने के लिए बोर्ड द्वारा राज्य सरकार की गारंटी पर एलसी एकाउंट खोला गया था. इस आलोक में 77.78 करोड़ रुपये की अतिरिक्त एलसी पिछले वर्ष खोली गयी. जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा रिसोर्स गैप से प्राप्त हो रही राशि 83.33 करोड़ में अतिरिक्त 50 करोड़ रुपये बढ़ाये गये.
यानी रिसोर्स गैप की राशि 133 करोड़ रुपये कर दी गयी. पत्र के अनुसार केवल 50 करोड़ रुपये की ही सहायता राशि राज्य सरकार द्वारा बढ़ायी गयी, जबकि एलसी एकाउंट 77.78 करोड़ रुपये का है. इससे निगम पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा. अबतक डीवीसी के एलसी एकाउंट में राज्य सरकार से प्राप्त 50 करोड़ व स्वयं के स्नेतों से 27.78 करोड़ मिलाकर भुगतान किया जाता रहा है. पर इस वित्तीय वर्ष में डीवीसी मद की राशि 50 करोड़ प्रतिमाह की कटौती कर दी गयी है और केवल 83.33 करोड़ रुपये प्रतिमाह की दर से एक हजार करोड़ रुपये की ही स्वीकृति दी गयी है. सीएमडी ने इसे अपर्याप्त बताया है.
रिसोर्स गैप में मांगा 1,600 करोड़
सरकार ने बजट में किया है केवल एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान
पूर्व में प्रतिमाह 133 करोड़ रुपये का होता था भुगतान
अब सरकार ने 83.33 करोड़ रुपये प्रतिमाह के हिसाब से किया है प्रावधान
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