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यशवंत की राजनीति के आगे झुकी बीजेपी, मिलने पहुंचे आडवाणी

-इंटरनेट डेस्क-आज भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा से मुलाकात करेंगे. यशवंत सिन्हा फिलहाल जेल में बंद हैं, उन्होंने बिजली को लेकर आंदोलन चलाया था, जिसमें सिन्हा 51 नामजद आरोपियों के साथ जेल में हैं. उन्होंने बेल लेने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्हें कोर्ट ने 14 […]

-इंटरनेट डेस्क-
आज भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा से मुलाकात करेंगे. यशवंत सिन्हा फिलहाल जेल में बंद हैं, उन्होंने बिजली को लेकर आंदोलन चलाया था, जिसमें सिन्हा 51 नामजद आरोपियों के साथ जेल में हैं.

उन्होंने बेल लेने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्हें कोर्ट ने 14 दिन की रिमांड पर जेल भेज दिया है. अरविंद केजरीवाल ने जब जमानत ना लेकर जेल जाना उचित समझा था, तो उस वक्त केजरीवाल की उस कार्रवाई को भाजपाइयों ने नौटंकी बताया था. वही भाजपाई यशवंत की नौटंकी में उसके साथ थे. अनियमित बिजली आपूर्ति को लेकर जिस तरह का आंदोलन यशवंत सिन्हा ने प्रदेश में शुरू किया, उसपर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं.

सूत्रों का कहना है कि चूंकि यशवंत सिन्हा इस बार संसद नहीं पहुंच सकें हैं, इसलिए उनकी नजर झारखंड के सीएम की कुर्सी पर लगी है. अपनी इसी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उन्होंने हजारीबाग संसदीय सीट से चुनाव नहीं लड़ा, जबकि वे वहां के सीटिंग एमपी थे. बेटे का भविष्य सुरक्षित करने के लिए यशवंत सिन्हा ने यह सीट उसके नाम कर दी.

कहा, तो यह भी जा रहा है कि भाजपा के प्रबुद्ध नेताओं में शुमार यशवंत सिन्हा झारखंड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को टारगेट करके सारी रणनीति बना रहे हैं. झारखंड की वर्तमान सरकार का कार्यकाल इस साल के अंत तक समाप्त हो जायेगा और प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे. ऐसे में यशवंत सिन्हा इस कोशिश में लगे हैं कि प्रदेश की राजनीति पर उनकी पकड़ मजबूत हो जाये, ताकि उनकी योग्यता को देखते हुए मुख्यमंत्री का पद उनके लिए सुरक्षित हो जाये.

इसी कोशिश के मद्देनजर वे विगत तीन जून से हजारीबाग के जेल में बंद हैं. कोर्ट में हुई पेशी के दौरान उन्होंने जमानत लेने से भी इनकार कर दिया है.
पार्टी के लिए यशवंत की यह हठ, परेशानी खड़ी करने वाली साबित हो सकती है. झारखंड भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में अर्जुन मुंडा अपनी दावेदारी काफी मजबूती से रखते हैं और पार्टी पर उनकी पकड़ भी है.

ऐसे में अगर यशवंत सीएम की कुर्सी पर नजर डालेंगे, तो यह पार्टी में फूट का कारण भी बन सकती है. झारखंड में अभी तक कोई गैरआदिवासी सीएम नहीं हुआ है, इसलिए यशवंत सिन्हा की डगर आसान भी नहीं जान पड़ती है. लेकिन उनका हठ ऐसा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को झारखंड दौरे पर आना पड़ा है.
यशवंत सिन्हा का राजनीतिक जीवन
यशवंत सिन्हा देश की प्रशासनिक सेवा में थे. उन्होंने आईएएस की नौकरी से 1984 में इस्तीफा दिया और जनता पार्टी को ज्वाइन किया था. वे 1988 में राज्यसभा के लिए चुने गये. चंद्रशेखर जब देश के प्रधानमंत्री बने तो वे 1990 से 1991 तक देश के वित्त रहे. जब 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो वे 1998 से 2002 तक देश के वित्त मंत्री रहे. 2002 से 2004 तक वे देश के विदेश मंत्री रहे.

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