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अफसरों के साथ कल पहुंचेंगे झारखंड के 123 बच्चे

रांची: केरल पुलिस सहित 16 अधिकारियों के साथ झारखंड के 123 बच्चे बुधवार को केरल से जसीडीह पहुंचेंगे. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी मुसलिम समुदाय के हैं, जो गोड्डा जिले के बसंतराय व महगामा प्रखंड निवासी हैं. बच्चों की उम्र न्यूनतम साढ़े तीन साल से 12 साल तक है. उनके साथ झारखंड से गयी […]

रांची: केरल पुलिस सहित 16 अधिकारियों के साथ झारखंड के 123 बच्चे बुधवार को केरल से जसीडीह पहुंचेंगे. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी मुसलिम समुदाय के हैं, जो गोड्डा जिले के बसंतराय व महगामा प्रखंड निवासी हैं.

बच्चों की उम्र न्यूनतम साढ़े तीन साल से 12 साल तक है. उनके साथ झारखंड से गयी 12 सदस्यीय टीम भी है. एर्नाकुलम-पटना ट्रेन में इन बच्चों के लिए थ्री-एसी श्रेणी की दो बोगी बुक करायी गयी है. बोगी बुकिंग के लिए केरल सरकार ने संबंधित डीआरएम को आठ लाख रु दिये हैं. रास्ते में बच्चों के भोजन व अन्य खर्च के लिए भी पैसे दिये गये हैं. जसिडीह स्टेशन पहुंचने के बाद उन्हें उनके ठिकाने तक पहुंचाया जायेगा.

इधर, समाज कल्याण विभाग ने सोमवार को विभागीय सचिव के हस्ताक्षर से गोड्डा व देवघर के उपायुक्तों को चिट्ठी लिखी है. उनसे बच्चों की बेहतर काउंसेलिंग कराने तथा उन्हें उनके घर तक सकुशल पहुंचाने को कहा गया है. जो बच्चे अनाथ हैं, उन्हें रिमांड होम में रखा जायेगा. गौरतलब है कि केरल के मुक्कम मुसलिम अनाथालय सहित अन्य अनाथालयों में झारखंड, बिहार व पं.बंगाल के करीब चार सौ बच्चों को रखा गया है.

झारखंड के लिए शर्मनाक

बच्चों को झारखंड वापस लाने गयी टीम के एक सदस्य के मुताबिक इन बच्चों व उनके अभिभावकों को राजी करने के लिए उन्हें फिल्म दिखायी जाती है. इसमें अनाथालयों में मिलने वाली सुविधा, भोजन व शिक्षा व्यवस्था का जिक्र होता है. गरीब अभिभावकों के लिए यह फिल्म तथा एजेंटों की काउंसेलिंग प्रोत्साहन का काम करती है और वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को इतनी दूर भेजने के लिए राजी हो जाते हैं. झारखंड की टीम को बताया गया है कि इन बच्चों के गरीब व बेसहारा होने संबंधी प्रमाण पत्र संबंधित बीडीओ की ओर से जारी किया गया है. अभी मौखिक रूप से यह कहा जा रहा है कि प्रमाण पत्र के हस्ताक्षर अधिकारियों के सही हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते हैं. इसकी जांच अभी होनी है.

कोर्ट ने दिया जांच का आदेश

एक जनहित याचिका के बाद केरल हाईकोर्ट ने मामले की जांच का आदेश दिये है. इस मामले में झारखंड, बिहार व पं.बंगाल के समाज कल्याण विभाग के सचिवों सहित केंद्रीय रेल मंत्रालय व समाज कल्याण के सचिव को भी पार्टी बनाया गया है. मामले की सुनवाई 19 जून को होनी है. इसके बाद ही इस संबंध में कुछ और जानकारी मिलेगी. कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग, झारखंड के सचिव से कहा है कि वह झारखंड आ रहे बच्चों की उनके घर तक सकुशल पहुंचने संबंधी रिपोर्ट भी साथ लेकर आये. यह भी बताना है कि 24 मई को बच्चों की बरामदगी के बाद से ये बच्चे किन अधिकारियों की देखरेख में रहे.

केरल जानेवाले अधिकारी

डॉ मनीष रंजन (श्रमायुक्त), संजय कुमार मिश्र (सदस्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग), मनीष कुमार सिन्हा व विनीत कुमार सिंह (दोनों फैक्टरी इंस्पेक्टर), सुनील कुमार (एलक्ष्ओ पलमुआ), डॉ विनोद कुमार (पीएचसी नामकुम के चिकित्सक), सीमा शर्मा (बाल सुरक्षा अधिकारी), जयीता सेन (संस्था सेव द चिल्ड्रेन की कार्यक्रम अधिकारी) व प्रमोद कुमार वर्मा (संस्था भारतीय किसान संघ के कार्यक्रम प्रबंधक, बाल सुरक्षा)

बच्चों के जाने का कारण

प्रभात खबर को उपलब्ध करायी गयी स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक मुक्कम मुसलिम अनाथालय के ज्यादातर स्टाफ गोड्डा जिले के हैं, जो इन बच्चों को केरल लाने के लिए एजेंट का काम करते हैं. केरल सरकार इन अनाथालयों को फंड देती है. वहीं मध्य पूर्व के देशों से भी इन्हें डोनेशन मिलता है. अधिक मदद राशि पाने के लिए अनाथालय झारखंड, बिहार व अन्य राज्यों से भी बच्चों को वहां रखते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक गोड्डा जिले में शिक्षा की बेहतर सुविधा व संसाधान न होने से भी इन बच्चों के अभिभावक उन्हें केरल भेज देते हैं.

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