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पुलिस मुख्यालय में दब गयी पुलिस कर्मियों पर हुई कार्रवाई की फाइल

रांची : चतरा के टंडवा थाना क्षेत्र में कोयला तस्करी में थानेदार व इंस्पेक्टर से लेकर जिला स्तर के पुलिसकर्मियों की संलिप्तता को लेकर विशेष शाखा ने डीजीपी डीके पांडेय को रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट 25 मई 2016 को भेजी गयी थी. दो साल से ज्यादा समय गुजर गये, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं […]

रांची : चतरा के टंडवा थाना क्षेत्र में कोयला तस्करी में थानेदार व इंस्पेक्टर से लेकर जिला स्तर के पुलिसकर्मियों की संलिप्तता को लेकर विशेष शाखा ने डीजीपी डीके पांडेय को रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट 25 मई 2016 को भेजी गयी थी. दो साल से ज्यादा समय गुजर गये, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
मामला पुलिस मुख्यालय में ही अटक गया. जबकि रिपोर्ट में कोर कमेटी के सदस्यों, सीसीएल के अफसरों के अलावा पुलिस के अफसरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी थी. रिपोर्ट में जिला स्तर के पुलिसकर्मी की संलिप्तता की बात कही गयी थी, हालांकि तत्कालीन एसपी के नाम का डायरेक्ट जिक्र नहीं था. पूर्व में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त डॉ प्रदीप कुमार द्वारा भेजी गयी शिकायत में एसपी के नाम का जिक्र किया गया था. लेकिन इस मामले की फाइल सीआइडी से पुलिस मुख्यालय तक घूमती रही. ठोस कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी.
प्रति ट्रक 20 टन कोयला के लिए 30 हजार वसूली में सब शामिल
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि प्रति ट्रक 20 टन कोयला के लिए 30 हजार रुपये ट्रक मालिकों से लिया जा रहा था. इसमें मगध कोल प्रोजेक्ट के पीओ एसके सिंह, मैनेजर मिथिलेश कुमार, डिस्पैच अफसर छोटन महथा, लोडिंग अफसर सिराजुद्दीन मियां, जीएम सुरक्षा इंचार्ज, पत्रकार व टंडवा के तत्कालीन थाना प्रभारी आरबी सिंह की संलिप्तता प्रतीत होती है. बिना इन लोगों की मिलीभगत के कोयला तस्करी कर पाना संभव नहीं है. कोर कमेटी सचिव तुलसी गंझू द्वारा 30 हजार रुपये की वसूली कर राशि की बंदरबांट की जाती है.
कोयला तस्करी का पैसा नहीं मिला, तो पकड़ा ट्रक
जब कोर कमेटी के कुछ लोगों को कोयला तस्करी के रुपये नहीं मिले, तो 19 मई 2016 को 10 ट्रक बिना कागजात के पकड़े गये. इस संबंध में टंडवा थाने में कांड संख्या 41/16 दर्ज कर ट्रक चालक व मालिक को आरोपी बनाया गया. लेकिन कोर कमेटी सचिव तुलसी गंझू, अर्जुन गंझू, सुभाष यादव व सर्वजीत गंझू के अलावा थाने से लेकर सीसीएल कर्मियों काे मैनेज करने वाला राहम पंचायत का मुखिया अक्षयवट पांडेय, मगध कोल प्रोजेक्ट के पीओ एसके सिंह, मैनेजर मिथिलेश कुमार, डिस्पैच ऑफिसर छोटन महथा, लोडिंग अफसर सिराजुद्दीन मियां, जीएम सुरक्षा इंचार्ज का प्राथमिकी में नाम नहीं लेकर उनको बचाया गया. इसमें टंडवा के तत्कालीन थाना प्रभारी आरबी सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े हो गये थे. कहा गया था कि जो ग्रामीण अवैध कोयला को पकड़ते हैं, उन्हें थाना प्रभारी द्वारा तरह-तरह से परेशान किया जाता है.

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