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बिजली संकट का हल तत्काल नहीं है संभव

रांची: राज्य के ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने स्वीकार किया है कि झारखंड में बिजली आपूर्ति की स्थिति हद से ज्यादा खराब हो गयी है. उन्होंने हाथ खड़े करते हुए यह भी कह दिया है कि बिजली संकट से फिलहाल निजात पाना संभव नहीं दिखता. प्रतिदिन राज्य में 45 सौ मेगावाट बिजली की जरूरत होती […]

रांची: राज्य के ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने स्वीकार किया है कि झारखंड में बिजली आपूर्ति की स्थिति हद से ज्यादा खराब हो गयी है. उन्होंने हाथ खड़े करते हुए यह भी कह दिया है कि बिजली संकट से फिलहाल निजात पाना संभव नहीं दिखता.

प्रतिदिन राज्य में 45 सौ मेगावाट बिजली की जरूरत होती है, पर टीवीएनएल, सुवर्णरेखा परियोजना और पीटीपीएस से सिर्फ 550 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. केंद्रीय ग्रिड से सरकार तीन सौ मेगावाट बिजली प्रति दिन खरीद रही है, जो गरमी में कम पड़ रही है. श्री सिंह बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि 19 मार्च से बिजली का कोई भी उपकरण नहीं खरीदा जा रहा है. इससे भी परेशानी हो रही है. कंपनियों और कांट्रैक्टर एजेंसियों को भुगतान नहीं हो पा रहा है.

एक सवाल के जवाब में ऊर्जा मंत्री ने कहा कि डीवीसी को प्रत्येक माह बिजली खरीद के लिए 133 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं. तीन हजार करोड़ का बकाया भी है. तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड को भी 15 सौ करोड़ का भुगतान करना है. निजी कंपनियों से भी बिजली खरीदी जा रही है, जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है. यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के विघटन के बाद भी बोर्ड का गठन नहीं कर पाना सरकार की बड़ी विफलता है. इसकी वजह से कई महत्वपूर्ण फैसले नहीं लिये जा सके हैं. 15 जून से बिजली कर्मियों ने फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि इन सभी बातो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत करा दिया गया है. जेएसइबी के विघटन के बाद केंद्र से 5710 करोड़ रुपये मिलने हैं. यदि हम बोर्ड का गठन नहीं करा पाये, तो केंद्र से मिलने वाली यह राशि लैप्स हो जायेगी.

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