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मुख्यमंत्री जी, पॉलिथीन रोकिए

रांची: झारखंड सरकार ने राज्य में 50 माइक्रॉन से कम मोटाईवाले पॉलिथीन के उपयोग पर पाबंदी लगायी है, लेकिन यह बेअसर साबित हो रहा है. व्यापारी व ग्राहक दोनों धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तरांचल, ओड़िशा व गुजरात में एक खास मोटाई से कम का पॉलिथीन […]

रांची: झारखंड सरकार ने राज्य में 50 माइक्रॉन से कम मोटाईवाले पॉलिथीन के उपयोग पर पाबंदी लगायी है, लेकिन यह बेअसर साबित हो रहा है. व्यापारी व ग्राहक दोनों धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तरांचल, ओड़िशा व गुजरात में एक खास मोटाई से कम का पॉलिथीन प्रतिबंधित है.

वहीं मुंबई, नासिक, हैदराबाद, चंडीगढ़ व औरंगाबाद जैसे शहरों में भी इसका उपयोग वजिर्त है. झारखंड सरकार ने बाकायदा विज्ञापन जारी कर पॉलिथीन मुक्त झारखंड बनाने का संकल्प जारी किया था. हालांकि इस पर अभी तक रोक नहीं लग पायी है. जानकारों के अनुसार सरकार को राज्य के भीतर इसका उत्पादन रोकना होगा, तभी पॉलीथीन मुक्त झारखंड की परिकल्पना की जा सकती है.

क्या है विकल्प : दुनिया भर में पॉलिथीन के विकल्प के रूप में कागज का इस्तेमाल किया जा रहा है. कपड़ा भी इसका बेहतर विकल्प है. कई बड़ी कंपनियां कपड़े या कागज के बैग में ग्राहकों को सामान उपलब्ध करा रही हैं. वहीं खाद्य सामग्री रखने के लिए सिल्वर फॉयल व पेपर पैक का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है.

दूसरे अवसर बढ़ेंगे : पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगने के बाद ठोंगा या लिफाफा निर्माण का काम स्वरोजगार का अच्छा माध्यम बन सकता है. बाजार व मांग बढ़ने पर महिलाओं को भी इस रोजगार से जोड़ा जा सकता है.

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