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विधानसभा में गबन करनेवाले को प्रोन्नति

-शकील अख्तर- रांचीः फरजी यात्रा भत्ता लेने पर सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त कराने या बरखास्त करने के साथ-साथ उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने का कानून है. पर विधानसभा के कर्मचारी और अधिकारी इस नियम से ऊपर हैं. उन्हें फरजी यात्रा भत्ता लेने पर दंडित नहीं किया जाता. उनसे सिर्फ फरजी यात्र […]

-शकील अख्तर-

रांचीः फरजी यात्रा भत्ता लेने पर सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त कराने या बरखास्त करने के साथ-साथ उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने का कानून है. पर विधानसभा के कर्मचारी और अधिकारी इस नियम से ऊपर हैं. उन्हें फरजी यात्रा भत्ता लेने पर दंडित नहीं किया जाता. उनसे सिर्फ फरजी यात्र भत्ता के नाम पर ली गयी रकम ट्रेजरी में जमा करवायी जाती है. इन कर्मचारियों या अफसरों को नौकरी से निकालने के बदले प्रोन्नति दी जाती है. पिछले दिनों विधानसभा ने ऐसे कई अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रोन्नति दी है.

एकीकृत बिहार विधानसभा में 1980 में सहायक के पद पर नियुक्त माधवेंद्र सिंह झारखंड विधानसभा में फिलहाल अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्यरत रहने के दौरान 2005 से 2008 तक की अवधि में कुल 14 बिल के सहारे एलटीसी और टीए मद में 2.83 लाख रुपये लिये. इसके लिए हर वित्तीय वर्ष में दो जगहों के बीच की अलग-अलग दूरी लिख कर बिल जमा किया. प्रभात खबर में इससे संबंधित समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रधान महालेखाकार ने उनके यात्रा भत्ता पर आपत्ति जतायी.

विधानसभा ने इस मामले में अपने स्तर से कार्रवाई भी शुरू की. विधि परामर्शी की राय ली गयी थी. विधि परामर्शी ने विभागीय कार्यवाही चलाने और आपराधिक मुकदमा करने का सुझाव दिया.

पर, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने सिर्फ निलंबित करने का निर्देश दिया. कुमार माधवेंद्र के निलंबन की अधिसूचना 30 मई 2012 को जारी की गयी. पर 10 सितंबर 2013 को उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया गया. इससे संबंधित जारी अधिसूचना (3285) में कहा गया कि कुमार माधवेंद्र एलटीसी और टीए मद में ली गयी अधिक राशि सरकारी खजाने में जमा करा देंगे. इसके बाद उन्होंने यात्र भत्ता मद में ली गयी राशि में से 1.25 लाख रुपये ट्रेजरी में जमा करा दिया.

इस बीच झारखंड विधानसभा सचिवालय ने 25 अक्तूबर 2013 को संयुक्त सचिव स्तर के छह अधिकारियों को अपर सचिव के वेतनमान (36400-67000 व ग्रेड-पे 8900) में प्रोन्नति दे दी. जिन्हें प्रोन्नति दी गयी, उनमें कुमार माधवेंद्र भी शामिल हैं. इस वेतनमान तक पहुंचने में आइएएस अधिकारियों को 10 साल लग जाते हैं.

एक ही जगह की अलग-अलग दूरी बतायी

कुमार माधवेंद्र ने 2004-05 में एलटीसी के लिए हटिया से डालटनगंज की दूरी 345 किलोमीटर बतायी. 2007-08 में एलटीसी के लिए इन्हीं दोनों जगहों की बीच की दूरी 315 किलोमीटर बतायी. इसी तरह इस अधिकारी ने फरजी बिल लेने के लिए डालटनगंज से टाटा नगर, किऊल से साहेबगंज और किऊल से जसीडीह की अलग-अलग दूरियां बतायीं. किराया भी अलग-अलग दिखाया.

कहां से कहां तक एलटीसी नंबर बतायी गयी दूरी

हटिया-डालटनगंज 86/2004-05 345 किलोमीटर

हटिया-डालटनगंज 31/2007-08 315 किलोमीटर

डालटनगंज-टाटा नगर 86/2004-05 514 किलोमीटर

डालटनगंज -टाटा नगर 86/2004-05 514 किलोमीटर

किउल-साहेबगंज 86/2004-05 172 किलोमीटर

किउल-साहेबगंज 31/2007-08 173 किलोमीटर

किउल-जसीडीह 86/2004-05 99 किलोमीटर

किउल-जसीडीह 31/2007-08 97 किलोमीटर

मुझ पर गलत ढंग से यात्रा भत्ता लेने का आरोप था. सभा सचिवालय ने मेरे ऊपर 1.25 लाख रुपये का फरजी यात्र भत्ता लेने का दावा किया था. मैंने यह राशि ट्रेजरी में जमा करा दी है. – कुमार माधवेंद्र सिंह, अपर सचिव, झारखंड विधानसभा

यात्रा भत्ता के नाम पर गलत तरीके से ली थी राशि

– मामला पकड़ में आने पर 1.25 लाख रुपये ट्रेजरी में जमा करवा चुके हैं कुमार माधवेंद्र सिंह

– मई 2012 में किया गया निलंबित, सितंबर 2013 को निलंबन मुक्त कर दिया गया

– 25 अक्तूबर 2013 को प्रोन्नति देकर बना दिया गया अपर सचिव

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