रांची: राजधानी में बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीन का अवैध हस्तांतरण किया जा रहा है. आरोप है कि भूमि माफिया व जमीन दलालों से मिल कर एसएआर (शिडय़ूल एरिया रेगुलेशन) कोर्ट ने गलत तरीके से आदिवासियों की जमीन का हस्तांतरण कराया है. मुआवजा देने में भी अनियमितता बरतने का आरोप है. इसमें पूर्व एसएआर पदाधिकारी मथियस विजय टोप्पो की भूमिका संदेहास्पद बतायी जा रही है. सरकार ने अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच का आदेश दिया है. द छोटानागपुर के आयुक्त केके खंडेलवाल इसकी जांच कर रहे हैं.
बिना मामला सुने तय कर दिया मुआवजा : पूर्व एसएआर पदाधिकारी श्री टोप्पो ने अपने कार्यकाल में 250 से अधिक मामलों में आदिवासी जमीन मालिकों को मुआवजा देने का आदेश दिया. दिलचस्प बात है कि इसमें आधे से अधिक मामले का रिकॉर्ड नहीं है. इन मामलों में सुनवाई तक नहीं की गयी. आरोप है कि एसएआर पदाधिकारी ने मामला सुने बिना मुआवजे की राशि तय कर जमीन मालिक को देने का आदेश कर दिया व इसकी सर्टिफाइड कॉपी निकाल दी गयी.
जमीन माफिया की साजिश : जांच के दौरान तत्कालीन एसएआर पदाधिकारी (वर्तमान में हजारीबाग के सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी) श्री टोप्पो ने बिना सुनवाई के मुआवजा दिये जाने को जमीन माफिया की साजिश बताया है.
उन्होंने कहा है कि उनकी जगह किसी वकील ने फरजी हस्ताक्षर कर आदेश निकाल दिया है. उन्होंने आशंका जतायी कि जमीन माफियाओं की एसएआर कार्यालय के कर्मचारियों से सेटिंग है. इसी वजह से एसएआर पदाधिकारी की जानकारी में आये बिना आदेश निकाल दिया गया.
‘‘सरकार से मिले आदेश के बाद एसएआर कोर्ट की ओर से गलत तरीके से किये गये जमीन हस्तांतरण के आदेश की जांच की जा रही है. जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दूंगा. इसके बारे में और ज्यादा कुछ नहीं बता सकता.
केके खंडेलवाल, आयुक्त, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल