जितेंद्र सिंह
गढ़वा : भवनाथपुर सेल आरएमडी माइंस के स्थापना के साथ ही दूसरे फेज में करोड़ों रुपये की लागत से वृहद आधारभूत संरचना की स्थापना की गयी थी. इसमें सेलकर्मियों के रहने के लिए आवास, 30 बेड का अस्पताल, खान मध्य व उच्च विद्यालय, माइंस कॉलेज, डीएवी स्कूल, खेल के मैदान, गेस्ट हाउस, शॉपिंग सेंटर,कम्युनिटी हॉल आदि का निर्माण कराया गया. लेकिन वर्तमान में यहां की स्थिति काफी भयावह हो चुकी है. आवासों को तोड़ कर उसका ईंट व छड़ बेचा जा रहा है. अस्पताल में चिकित्सक व दवा का अभाव है. शॉपिंग कांप्लेक्स से रौनक गायब है तथा कम्युनिटी हॉल ध्वस्त हो चुका है. इसकी जिम्मेवार पूरी तरह से सेल प्रबंधन है.
1177 आवास बनाये गये थे : टाउनशिप अवासीय परिसर में शुरुआत में 977 सुसज्जित आवास का निर्माण कराया गया था. इनमें अफसरों के लिए बी व सी टाइप तथा कर्मियों के लिए डी, इ, एफ, इएफ तथा सीडी का निर्माण कराया गया था. बाद में 200 आवास और बनाये गये, जिनका आज नामोनिशान तक नहीं है. चोरों ने 200 आवासों को पूरी तरह जमींदोज कर उसके ईंट व छड़ को बेच दिया गया. इस बारे में प्रबंधन का तर्क था कि उसने उक्त आवासों को हैंड ओवर नहीं लिया है. वहीं सूत्र बताते हैं कि इसके संवेदक का निर्माण कार्य की राशि मिल चुकी है. उधर पुराने 977 आवासों में से भी 30 आवासों को ध्वस्त कर उसका सामग्री बेच दिया गया, यह सब प्रबंधन के नाक के नीचे होता रहा और प्रबंधन ने कुछ नहीं किया.
91 आवासों पर अवैध कब्जा : टाउनशिप के बचे हुए 947 आवासों में से 91 आवासों पर अवैध कब्जा है. अवैध कब्जा करनेवालों में विभिन्न राजनीतिक दल के अलावा भवनाथपुर के आस-पास के गांव के लोग भी शामिल हैं. इन अवैध कब्जाधारियों को हटाने में प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिये हैं. कुछ लोगों का कहना है कि आवास खाली रहने पर उसे भी ध्वस्त कर दिया जायेगा. प्रबंधन के लोग भी चाहते हैं कि इसी बहाने उनका आवास बचा रहेगा, लेकिन यह नाजायज है. आवास के आवंटन के लिए आरएमडी मुख्यालय कोलकाता से आदेश लेना पड़ता है, जो काफी पेचीदा है. वर्तमान में इस माइंस में 257 कर्मचारी कार्यरत हैं.
अपराधियों का शरणस्थली बना : टाउनशिप के आवासीय परिसर में अवैध कब्जा कर रहने व खाला आवास अपराधियों का शरणस्थली बन गया है. शाम ढलते ही यहां शराब व जुआ का दौर शुरू हो जाता है. यहां रहनेवाले कर्मी सुरक्षा का अभाव महसूस करते हैं. वैसे स्थानीय थाना पुलिस द्वारा गश्ती की जाती है. बावजूद शाम ढलते ही लोग अपने घरों में रहना पसंद करते हैं. वहीं पूर्व में रात 11 बजे तक रोशनी से नहाया टाउनशिप गुलजार हुआ करता था.