पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद दिल्ली से लौटे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा कि राज्यपाल अगर उनको सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं तो वे राजभवन जायेंगे.
पर इसके पहले नीतीश कुमार सरकार न बनाने की स्थिति तो स्पष्ट कर दें. यह सच है कि जदयू के 50 विधायक उनके संपर्क में हैं. उनकी मदद से ही भाजपा को लोकसभा चुनाव में इतनी सफलता मिली है. श्री मोदी ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं होनेवाला है. वे नीतीश कुमार को जितना जानते हैं, उसके अनुसार वे कहा करते हैं कि सिगरेट का अंतिम कश तक मजा लेना चाहिए. यही कारण है जब स्व प्रमोद महाजन ने लोकसभा चुनाव आठ माह पहले कराने की घोषणा की थी तो नीतीश ने कहा कि पहले चुनाव क्यों कराया जा रहा है.
पटना हवाई अड्डे पर रात के नौ बजे पत्रकारों से बातचीत में श्री मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह पहला इस्तीफा नहीं है. 1999 में रेल दुर्घटना के बाद भी उन्होंने इस्तीफा दिया था. घोषणा की कि वे चुनाव नहीं लड़ेगे. फिर वे चुनाव लड़े और वाजपेयी मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने. इसी तरह 2000 में जब विश्वास मत हासिल नहीं किया तो भी यही बात दोहरायी थी. इस नाटक के पीछे सच तो यह है कि चुनाव के बाद अपने विधायकों का इमोशनल ब्लैकमेल कर रहे हैं. विधायक उनको छोड़ना चाहते हैं. अंदर में विरोध है.
यही कारण है कि विधायक दल की बैठक रविवार को बुलाया है. अगर उनको इस्तीफा ही देना था तो पहले विधायक दल की बैठक बुलाते और उसमें निर्णय करने के बाद इस्तीफा देते. पर ऐसा कुछ भी नहीं किया. वे चाहते हैं कि विधायक दल की बैठक में सभी यह कहें कि सर आप ही मुख्यमंत्री रहिए. उन्होंने इस्तीफा इस कारण से भी दिया है कि कुछ मंत्रियों से पिंड छुड़ाना चाहते थे. अब उनसे मुक्ति मिल जायेगी. नीतीश कुमार के लिए कोई सिद्धांत नहीं है. सब दिन नीतीश कुमार कांग्रेस व कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ लड़ते रहे अब उसकी मदद से सरकार चला रहे हैं. नीतीश किसी से भी हाथ मिला सकते हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश ने नरेंद्र मोदी को औपचारिकता में भी फोन नहीं किया. ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाते हैं तो क्या उसमें नीतीश कुमार नहीं जाकर श्याम रजक या अन्य को भेज देंगे? क्या नरेंद्र मोदी बिहार को विकास के लिए मदद करना चाहते हैं तो नीतीश कुमार मदद नहीं लेंगे?