बीफ मामले में मॉब लिंचिंग पर पहली बार सजा. रामगढ़ के बाजारटांड़ में हुई थी घटना
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बीफ ले जाने के आरोप में अलीमुद्दीन की हत्या करनेवाले 11 दोषियों को उम्र कैद
बीफ मामले में मॉब लिंचिंग पर पहली बार सजा. रामगढ़ के बाजारटांड़ में हुई थी घटना रामगढ़ : रामगढ़ के बाजारटांड़ में बीफ ले जाने को लेकर पिछले साल 29 जून को अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी (42) की हत्या किये जाने के मामले में रामगढ़ व्यवहार न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को 11 दोषियों […]
रामगढ़ : रामगढ़ के बाजारटांड़ में बीफ ले जाने को लेकर पिछले साल 29 जून को अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी (42) की हत्या किये जाने के मामले में रामगढ़ व्यवहार न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को 11 दोषियों को उम्र कैदी की सजा सुनायी है. फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश ओम प्रकाश ने सभी को 16 मार्च को दोषी करार दिया था. जिन 11 लोगों को उम्र कैदी की सजा मिली है, उनमें भाजपा नेता नित्यानंद महतो, दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा, संतोष सिंह, विक्की साव, सिकंदर राम, कपिल ठाकुर, रोहित ठाकुर, राजू कुमार, विक्रम प्रसाद व उत्तम राम शामिल हैं. दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा और संतोष सिंह पर अदालत ने पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, अन्य आठ दोषियों के खिलाफ तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
बीफ ले जाने के…
सजा सुनाये जाने के बाद कुछ लोगों ने कोर्ट परिसर में नारे भी लगाये.
रोने लगे परिजन
दोषियों को सजा सुनाये जाने को लेकर बुधवार को कोर्ट परिसर में सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गयी थी. सभी दोषियों को दिन के करीब तीन बजे कोर्ट हाजत से अदालत में लाया गया. अदालत में सिर्फ दोषी करार दिये गये लोगों के परिजन और वकीलों के प्रवेश की ही अनुमति थी. मीडिया के लोगों के प्रवेश पर भी रोक थी. सजा सुनाये जाने से पूर्व बचाव पक्ष की ओर से वकील ने सभी को कम से कम सजा देने का अनुरोध अदालत से किया. वहीं, अपर लोक अभियोजक एसके शुक्ला ने मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की. सजा सुनाये जाते ही अदालत में मौजूद दोषियों के परिजन रोने लगे. दोषियों के चेहरे पर भी उदासी नजर आने लगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश, हाइकोर्ट कर रहा था निगरानी
मामला देश भर में चर्चित हुआ था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया. इस मामले की निगरानी उच्च न्यायालय की ओर से की गयी.
फास्ट ट्रैक कोर्ट का साढ़े पांच माह में आया फैसला
17 .09. 2017 अनुसंधानकर्ता एसआइ विद्यावति ओहदार ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था
22. 09. 2017 आरोप गठित किया गया
27.09. 2017 फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कार्य करना प्रारंभ किया
20.12.2017 आरोपियों का बयान कोर्ट में दर्ज किया गया
05.03. 2018 दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हुई
16.03. 2018 कोर्ट ने 11 आरोपियों को दोषी करार दिया
अभियोजन पक्ष की ओर से 19 गवाह प्रस्तुत किये गये
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 19 गवाह प्रस्तुत किये गये थे. बचाव पक्ष ने एक गवाह प्रस्तुत किया था. अभियोजन पक्ष ने 59 दस्तावेज व 20 वस्तुआें को कोर्ट में रखा. रामगढ़ सीओ द्वारा तैयार सीडी की जांच केंद्रीय प्रयोगशाला चंडीगढ़ से करा कर उसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया था.
रामगढ़ व्यवहार न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट ने साढ़े पांच माह में सुनाया फैसला
जिन्हें मिली उम्र कैद की सजा
भाजपा नेता नित्यानंद महतो, दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा, संतोष सिंह, विक्की साव, सिकंदर राम, कपिल ठाकुर, रोहित ठाकुर, राजू कुमार, विक्रम प्रसाद व उत्तम राम शामिल हैं.
किन-किन धाराओं में सजा : सभी 11 दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत एक साल कैद व एक हजार जुर्माना, धारा 148 के तहत दो वर्ष की सजा, धारा 427/149 के तहत एक वर्ष की कैद, धारा 435/149 के तहत तीन साल की सजा और धारा 302/149 के तहत उम्र कैद व दो हजार जुर्माने की सजा दी गयी. इसके अलावा दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा व संतोष सिंह को धारा 120 बी के तहत भी दोषी उम्र कैद और दो हजार जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
नाबालिग पर वयस्क की तरह केस चलाने की अनुमति मांगी
मामले में कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसमें से एक नाबालिग है. उसे जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के हवाले कर दिया गया था. अब नये कानून के अनुसार नाबालिग के 16 वर्ष से ज्यादा होने पर उसके खिलाफ वयस्क की तरह मामला चलाने की अनुमति मांगी गयी है.
क्या हुआ था 29 जून 2017 को
रामगढ़ के बाजारटांड़ स्थित हिंदुस्तान गैस एजेंसी के पास कुछ लोगों ने 29 जून 2017 को बीफ से लदी मारुति वैन को आग के हवाले कर दिया था. चालक मनुआ गांव निवासी अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी (42) को पीट-पीट कर मार डाला. वैन में सवार एक अन्य व्यक्ति ने किसी तरह भाग कर जान बचायी थी. इलाज के लिए रांची ले जाने के क्रम में अलीमुद्दीन की मौत हो गयी थी. अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून ने नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
फैसले के बाद अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून ने कहा कि न्यायालय पर उन्हें पूरा विश्वास था. फैसले पर उन्होंने संतोष जताया. कहा है कि इस तरह की घटना रामगढ़ में दोबारा नहीं होनी चाहिए. जिस तरह से पहले हिंदू-मुस्लिम भाईचारगी के साथ रहते आये हैं, वही कायम रहनी चाहिए.
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