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अकील पाकुड़ को बनाना चाहते हैं मिनी बांग्लादेश

रांची: सरकार और अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने के आरोप में मंत्री पद से बरखास्त लिट्टीपाड़ा के झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने पार्टी की ओर से जारी नोटिस का जवाब दे दिया है. उन्होंने अपने जवाब में 10 मिनट में पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है. कहा है कि वह पार्टी […]

रांची: सरकार और अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने के आरोप में मंत्री पद से बरखास्त लिट्टीपाड़ा के झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने पार्टी की ओर से जारी नोटिस का जवाब दे दिया है.

उन्होंने अपने जवाब में 10 मिनट में पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है. कहा है कि वह पार्टी से इस्तीफा नहीं देंगे. पार्टी में हिम्मत है, तो उन्हें निकाल दे. एचइसी परिसर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान साइमन ने कहा : मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार हिमांशु शेखर चौधरी ने पूरी पार्टी को हाइजैक कर लिया है. पार्टी में शिबू सोरेन की नहीं चलती. वह मूर्ति की तरह हैं, जिनके नाम का इस्तेमाल किया जाता है. किसी दूसरे दल में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा : विधानसभा चुनाव के समय देखा जायेगा. उन्होंने पाकुड़ विधायक अकील अख्तर पर घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. कहा कि अकील पाकुड़ को मिनी बांग्लादेश बना रहे हैं.

गलत काम के लिए दबाव दिया जाता था
साइमन ने कहा : शिबू सोरेन की मूर्ति को आगे रख कर हेमंत सोरेन पार्टी चला रहे हैं. सभी सीनियर को पार्टी से निकाला जा रहा है. पार्टी का भविष्य खतरे में है. उन्होंने कहा : मुख्यमंत्री के सलाहकार की बात न मानने की सजा मुङो मिली है. सलाहकार गलत काम के लिए दबाव देते थे. धोती-साड़ी योजना में मुंबई की किसी खास कंपनी को टेंडर देना चाहते थे. इस कारण फाइल सीएम के पास भेज दी गयी. सीएम के यहां फाइल चार माह से लंबित है. इससे गरीबों के बीच धोती-साड़ी का वितरण नहीं हो सका.

पुत्र को टिकट दिलवाना गलत नहीं
साइमन मरांडी ने कहा : आरइओ रामगढ़ के एक कार्यपालक अभियंता छह साल से वहीं थे. उनका तबादला न करने का दबाव दिया जा रहा था, जबकि उक्त अभियंता पर निगरानी जांच भी चल रही थी. सलाहकार हमेशा मंत्री पद से हटवा देने की धमकी देते थे. आज यह सच हो गया. उन्होंने कहा : मेरी जान को खतरा है. चार माह पहले काठीकुंड से गुमनाम फोन भी आया था. उन्होंने कहा : मैं अपने पुत्र को टिकट दिलाना चाहता था, यह गलत भी नहीं है. सारे लोग यही करते हैं.

अकील के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जांच की मांग की है
साइमन मरांडी ने पाकुड़ के झामुमो विधायक अकील अख्तर पर भी गंभीर आरोप लगाये. कहा : अकील अख्तर पाकुड़ को मिनी बांग्लादेश बनाना चाहते हैं. हमने गृह मंत्रलय से अकील अख्तर के पास आ रहे विदेशी धन व अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जांच कराने की मांग की है. साइमन ने आरोप लगाया कि अकील घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे हैं. सोसाइटी के नाम पर विदेशी फंड लाकर उसका गलत कार्यो में इस्तेमाल करते हैं. साइमन ने कहा : देश का शायद ही कोई ऐसा शहर होगा, जहां अकील अख्तर ने अपने लिए मकान नहीं बनवाया होगा. मदरसा के नाम से जमीन लेकर वह अपने लिए मकान बनवाते हैं. अकील के मामले में अकेले आगे नहीं बढ़ सकते. मेरी जान को खतरा हो सकता है.

आरोपों की जांच करा ले मीडिया : हिमांशु शेखर
साइमन मरांडी ने जो भी आरोप लगाया है, उसका मीडिया अपने स्तर से जांच करा ले. अगर साइमन पर दबाव डालता था, तो फिर जाहिर है कि अन्य मंत्रियों पर भी डालता. फिर अन्य मंत्रियों ने तो कोई शिकायत नहीं की. पहले जब उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की थी, तो इंजीनियर वाली बात क्यों नहीं बतायी. वह मुख्यमंत्री से शिकायत कर सकते थे. अगर मेरा चलता, तो मुख्यमंत्री उन्हें मनाने उनके घर नहीं जाते.धोती साड़ी योजना में विभागीय सचिव को हकीकत मालूम होगा. कोई सचिव या मंत्री बताये कि मैं निजी काम से कब उनके पास गया हूं. साइमन अपने पुत्र को टिकट नहीं मिलने के बाद आरोप क्यों लगा रहे हैं. घटना के इतने दिनों बाद आरोप लगाने से उनकी मंशा स्पष्ट हो रही है. यहां एक प्रवृत्ति चल पड़ी है कि किसी पर कोई भी आरोप लगा दे. न तो कोई सबूत है, न कोई प्रमाण. पार्टी को हाइजैक करने का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि मैं झामुमो का प्राथमिक सदस्य भी हीं हूं. मैं एक प्रोफेशनल की तरह मुख्यमंत्री का सलाहकार हूं. मैं नौकरी कर रहा हूं.

नहीं मानेंगे गवर्नर का फैसला, कोर्ट जायेंगे
लगभग 10 माह बाद राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने सर्च कमेटी की अनुशंसा को ही आधार बनाते हुए विनोबा भावे, कोल्हान, सिदो-कान्हू मुरमू और नीलांबर-पीतांबर विवि में कुलपतियों की नियुक्ति कर दी. विनोबा भावे में नये प्रति कुलपति भी बना दिये. हालांकि देर रात तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गयी थी. राज्यपाल ने सरकार की ओर से भेजे गये नामों पर विचार नहीं किया. शिक्षा मंत्री नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप चाहती थी. उन्होंने अपने स्तर पर कुछ नामों की सूची भी तैयार की थी. पर राज्यपाल ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार की सूची पर विचार नहीं किया.

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