मानवाधिकार आयोग ने पूछा था पीड़ित पक्ष को मुआवजा क्यों न दिया जाये, पर नहीं मिला जवाब
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प्रीति कांड में पुलिस ने निर्दोष को फंसाया, अब मुआवजा पर आनाकानी
मानवाधिकार आयोग ने पूछा था पीड़ित पक्ष को मुआवजा क्यों न दिया जाये, पर नहीं मिला जवाब रांची : तीन साल पूर्व हुए रांची के चुटिया की बहुचर्चित प्रीति हत्याकांड (बाद में जिंदा निकली) में तीन निर्दोष युवकों को जेल जाना पड़ा था. रांची पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई थी. सीआइडी की जांच में […]
रांची : तीन साल पूर्व हुए रांची के चुटिया की बहुचर्चित प्रीति हत्याकांड (बाद में जिंदा निकली) में तीन निर्दोष युवकों को जेल जाना पड़ा था. रांची पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई थी. सीआइडी की जांच में भी तीनों युवक अजीत कुमार, अमरजीत कुमार और अभिमन्यु के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. सीआइडी की रिपोर्ट के बाद कोर्ट से तीनों युवक बाइज्जत बरी किये गये. पर तीनों युवकों को बिना किसी दोष के जेल जाना पड़ा. इन तीनों के अलावा इनके परिजनों को काफी फजीहत झेलनी पड़ी, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया. इस मामले में पीड़ित पक्ष राज्य मानवाधिकार आयोग गया.
आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद गृह विभाग से पूछा कि पीड़ित पक्ष को मुआवजा क्यों नहीं दिया जाये. फिर गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय और सीआइडी का मंतव्य पूछा. दोनों ने गृह विभाग को 2016 में ही जवाब भेजा कि मामले में मुआवजा के बिंदु पर निर्णय विधिक प्रावधान के तहत सरकार के स्तर पर ली जा सकती है. लेकिन आज तक मुआवजा पर निर्णय नहीं हो सका.
अजीत, अमरजीत और अभिमन्यु को जाना पड़ा था जेल, पुलिस की लापरवाही हुई थी उजागर
15 फरवरी 2014 को प्रीति की हत्या का केस, 15 मई को चार्जशीट :15 फरवरी 2014 को एनएच-33 के पास मांझी टोला पक्की सड़क के निकट परती जमीन पर प्रीति कुमारी की हत्या कर साक्ष्य छिपाने की नीयत से जला देने को लेकर चौकीदार सुखराम उरांव के बयान पर बुंडू थाने में कांड संख्या 20/14 दर्ज किया गया था. इस मामले में रांची पुलिस ने अनुसंधान के दौरान अजीत कुमार (धुर्वा डैम साइड, सिंचाई काॅलोनी), अमरजीत कुमार (एसइसी धुर्वा) अौर अभिमन्यु उर्फ मोनू (एसटी कॅालोनी, धुर्वा) की संलिप्ता का दावा किया. इसके बाद पुलिस ने अजीत और अमरजीत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जबकि अभिमन्यु को कोर्ट में सरेंडर के बाद जेल भेजा गया था. अजीत और अमरजीत के खिलाफ पुलिस ने 15 मई 2014 को भादवि की धारा 376डी/302/201/34 के तहत चार्जशीट किया था.
14 जून 2014 को रांची ग्रामीण एसपी के समक्ष पहुंची प्रीति, तो खुला राज : जिस प्रीति की हत्या का दावा करते हुए पुलिस ने तीन युवकों को जेल भेजा था. वही प्रीति घटना के तीन-चार माह बाद 14 जून को रांची के ग्रामीण एसपी के समक्ष हाजिर हो गयी. तब पुलिस की लापरवाही उजागर हुई.
मामला सुर्खियों में आने पर तूल पकड़ा. इसके बाद रांची पुलिस ने अजीत कुमार और अमरजीत कुमार के विरुद्ध समर्पित चार्जशीट को तथ्य की भूल बताते हुए उसे निरस्त करने के लिए 17 जून 2014 को रिपोर्ट कोर्ट में दिया. फिर पुलिस मुख्यालय ने इस मामले को सीआइडी के सुपुर्द कर दिया. सीआइडी ने 20 जून 2014 को इस मामले को रांची पुलिस से टेकओवर किया. मामले में अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी और तत्कालीन बुंडू थाना प्रभारी संजय कुमार को निलंबित किया गया था.
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