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घर झारखंड में, पढ़ाई यूपी में

अभिमन्यु कुमार बेहतर प्राथमिक शिक्षा के लिए दूसरे राज्य में जाते हैं बच्चे खरौंधी(गढ़वा) : झारखंड के अंतिम छोर पर यूपी की सीमा से सटे खरौंधी प्रखंड के कई गांवों के बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए राज्य की सीमा पार कर उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती विद्यालयों में जाते हैं.गांव के स्कूल को छोड़ कर एक […]

अभिमन्यु कुमार

बेहतर प्राथमिक शिक्षा के लिए दूसरे राज्य में जाते हैं बच्चे

खरौंधी(गढ़वा) : झारखंड के अंतिम छोर पर यूपी की सीमा से सटे खरौंधी प्रखंड के कई गांवों के बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए राज्य की सीमा पार कर उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती विद्यालयों में जाते हैं.गांव के स्कूल को छोड़ कर एक से दो किलोमीटर तक पैदल चल कर छोटे बच्चों को दूसरे प्रदेश के स्कूल में जाने को लेकर अभिभावक चिंतित भी रहते हैं.

किंतु सीमावर्ती इलाके के बच्चों को यूपी के विद्यालय में जाना उनकी विवशता बन गयी है. प्रखंड के खोखा, राजी, बजमरवा गांव की पांचवीं-छठी कक्षा तक के अधिकतर बच्चे उत्तर प्रदेश में पढ़ने के लिए जाते हैं. उन्होंने वहां उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय नैकहा, मध्य विद्यालय चांची, उमवि मिसरी, प्राथमिक विद्यालय बोदारी एवं प्राथमिक विद्यालय कोन में अपना नामांकन कराये हैं.

जांचेंगे, सुधारेंगे : बीइइओ

इस संबंध में खरौंधी के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुनील प्रसाद केसरी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संबंधित विद्यालय के शिक्षकों से इस संबंध में वे जानकारी लेंगे. बच्चों को प्रोत्साहन देकर उन्हें अपने विद्यालयों में शिक्षा देनी है. शेष कर्मियों की बाबत भी वे जांच कर उसमें सुधार करेंगे.

दो किलोमीटर दूर हैं स्कूल

दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित झारखंड एवं उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों की आधारभूत संरचना से लेकर पठन-पाठन की व्यवस्था में बहुत समानता है. उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय भी अधिकांशत: पारा शिक्षक पर ही निर्भर हैं. लेकिन बच्चों के अभिभावक बालेश्वर चौधरी, कोदू मेहता, सोमनाथ चंद्रवंशी, गोपी चौधरी, पप्पू सिंह, कृष्णाचंद राय, शक्तिचंद राय, नंदू सिंह आदि का कहना है कि उनके गांव के स्कूल में पढ़ाई की स्थिति ठीक नहीं है.

विद्यालय के प्रधानाध्यापक से लेकर पारा शिक्षक तक समय पर विद्यालय नहीं आते हैं. कई बार तो विद्यालय खुलता भी नहीं है. स्कूल में मध्याह्न् भोजन भी बच्चों को समय पर नहीं मिलता है. विद्यालय में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए पारा शिक्षकों की नियुक्ति अवश्य हुई है. लेकिन पारा शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने में मन नहीं लगता है. जबकि यूपी के विद्यालयों में पढ़ाई अच्छी होती है. यूपी के विद्यालय में पढ़ने जानेवाली पांचवीं कक्षा की सोना कुमारी, रमेश कुमार, मनोज कुमार, चंपा कुमारी आदि ने कहा कि वहां पढ़ाई अच्छी होती है. मास्टर साहब टाइम पर आते हैं. दोपहर में टाइम पर खाना भी मिलता है. वहां मेन्यू के अनुसार खाना मिलने के साथ ड्रेस भी मिलता है.

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