तहकीकात. आजसू पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्यों की शिकायत पर डीआइजी ने दिया जांच का आदेश
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डॉ केके सिन्हा सहित अन्य पर दर्ज मामले की होगी जांच
तहकीकात. आजसू पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्यों की शिकायत पर डीआइजी ने दिया जांच का आदेश डीआइजी ने रांची एसएसपी को पत्र भेज कर दी जांच पूरी कराने की जिम्मेवारी एसएसपी के निर्देश पर सिटी एसपी ने सदर डीएसपी को सौंपा जांच का जिम्मा रांची : आजसू पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्यों की शिकायत पर […]
डीआइजी ने रांची एसएसपी को पत्र भेज कर दी जांच पूरी कराने की जिम्मेवारी
एसएसपी के निर्देश पर सिटी एसपी ने सदर डीएसपी को सौंपा जांच का जिम्मा
रांची : आजसू पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्यों की शिकायत पर डॉ केके सिन्हा सहित अन्य के खिलाफ 1993 में सदर थाना में दर्ज केस में रांची रेंज के डीआइजी एवी होमकर ने जांच का आदेश दिया है. उन्होंने मामले में जांच रिपोर्ट तैयार कराने की जिम्मेवारी रांची एसएसपी कुलदीप द्विवेदी को सौंपी है. इसके बाद एसएसपी के निर्देश पर सिटी एसपी ने सदर डीएसपी को जांच का जिम्मा सौंपा है. डीआइजी ने अपने आदेश में लिखा है कि मामले में हसन अंसारी सहित अन्य का संयुक्त हस्ताक्षरित एक आवेदन प्राप्त हुआ था. मामले में वर्णित तथ्यों की जांच कर की गयी कार्रवाई के संबंध में सीआइडी मुख्यालय से रिपोर्ट की मांग की गयी है. इसलिए मामले में जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार कर भेजा जाये, ताकि सीआइडी मुख्यालय को इसकी जानकारी दी जा सके.
वर्ष 1993 में सदर थाना में अलेस्टेयर बोदरा ने दर्ज कराया था मामला
क्या लिखा था प्रभाकर ितर्की, देवशरण, हसन अंसारी सहित अन्य नेताअों ने पत्र में
आजसू केंद्रीय समिति की ओर से वर्ष 2014 में प्रभाकर तिर्की, डॉ देव शरण भगत और हसन अंसारी सहित दो अन्य लोगों ने मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को एक पत्र लिखा था. पत्र में इस बात का उल्लेख था कि वर्ष 1993 में झारखंड आंदोलनकारी शहीद सुदर्शन भगत की हत्या एवं आदिवासी छात्र नेताओं पर जानलेवा हमला मामले में सदर थाना में कांड संख्या 96/93 के अंतर्गत केस दर्ज हुआ था. इस केस की जांच के लिए विशेष जांच समिति एसआइटी का गठन कर मामले की पुन: जांच करायी जाये. पत्र में इस बात का उल्लेख था कि इस केस के तहत डॉ केके सिन्हा एवं उनके पुत्र पप्पू सिन्हा एवं अन्य तीन लोगों के खिलाफ सुदर्शन भगत की हत्या, सुदर्शन भगत एवं अलेस्टर बोदरा पर जानलेवा हमला को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. यह प्राथमिकी वर्ष 1993 में सदर थाना में अलेस्टेयर बोदरा ने दर्ज करायी थी.
पत्र में कहा गया है कि इस केस में पुलिस द्वारा उचित जांच कर कार्रवाई नहीं की गयी. साथ ही उक्त केस को एक अंतराल के बाद खारिज कर दिया गया. यह कार्रवाई उक्त केस में शामिल प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए की गयी. वहीं दूसरी ओर डॉ केके सिन्हा द्वारा कमल किशोर भगत एवं एलेस्टर बोदरा पर जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, उसमें सिर्फ केके सिन्हा की अंगुली में चोट का जिक्र किया गया था. इस केस में गलत तथ्यों के आधार पर न्यायालय को गुमराह कर कमल किशोर भगत और अलेस्टर बोदरा को दोषी करार दिया गया. जबकि केके सिन्हा सहित अन्य के खिलाफ दर्ज केस में पुलिस अधिकारियों द्वारा गलत साक्ष्य प्रस्तुत कर उक्त केस को न्यायालय से खारिज करा दिया गया.
एसआइटी गठित कर मामले की जांच कराने की मांग
पत्र में कहा गया है कि डॉ केके सिन्हा सहित अन्य के खिलाफ दर्ज मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन कर पुन: जांच करायी जाये, ताकि दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. सबसे विशेष बात यह है कि इस मामले में आजसू पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री को यह पत्र 24 जून, 2014 को लिखा था. यह पत्र आइजी सीआइडी के कार्यालय में 15 सितंबर, 2015 को रिसीव किया गया. इसके बाद यह पत्र अन्य पुलिस अधिकारियों के कार्यालय में रिसीव हुआ. लेकिन अब मामले की जांच कराने को लेकर पुलिस अधिकारी गंभीर हुए हैं.
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