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झारखंड : एजी से दस्तावेज लेकर कांके में छिपाया

रांची : चारा घोटाले के अभियुक्तों ने जांच के नाम पर 1992-93 का दस्तावेज एजी से लेकर उसे कांके स्थित पशुपालन विभाग के पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के कार्यालय में छिपा रखा था. पशुपालन घोटाले के कांड संख्या आरसी 20ए/96 की जांच के दौरान सीबीआइ अधिकारी ने पाया कि तत्कालीन उपायुक्त द्वारा दर्ज करायी […]

रांची : चारा घोटाले के अभियुक्तों ने जांच के नाम पर 1992-93 का दस्तावेज एजी से लेकर उसे कांके स्थित पशुपालन विभाग के पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के कार्यालय में छिपा रखा था. पशुपालन घोटाले के कांड संख्या आरसी 20ए/96 की जांच के दौरान सीबीआइ अधिकारी ने पाया कि तत्कालीन उपायुक्त द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में वित्तीय वर्ष 1992-93 में हुई निकासी आदि का कोई ब्योरा नहीं है.
बीच में एक वर्ष का ब्योरा नहीं होने की घटना के मद्देनजर सीबीआइ को संदेह हुआ. इसके बाद सीबीआइ ने 1992-93 के दस्तावेज की खोजबीन शुरू की. जांच में पाया गया कि अमित खरे द्वारा एजी की जांच के दौरान एजी ऑफिस में 1992-93 की निकासी का ब्योरा नहीं होने से उनके द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में 1992-93 का उल्लेख नहीं था. इसकी जानकारी मिलने के बाद सीबीआइ ने 1992-93 के दस्तावेज की तलाश शुरू की. इस दौरान सीबीआइ अधिकारी को इस बात की जानकारी मिली कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने लोक लेखा समिति द्वारा की जानेवाली जांच के नाम पर एजी से निकासी से संबंधित पूरा वाउचर ले लिया था. इस सूचना के बाद सीबीआइ ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों से इस सिलसिले मेंं पूछताछ शुरू की.
इस दौरान वित्तीय वर्ष 1992-93 के वाउचरों को पशुपालन विभाग के कांके स्थित पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन केंद्र के एक कमरे में छिपा कर रखे जाने की जानकारी मिली. सीबीआइ ने कांके स्थित इस कार्यालय से एक ट्रक कागज जब्त किया. साथ ही इन वाउचरों के आधार पर 1992-93 में चाईबासा ट्रेजरी से निकासी का ब्योरा एकत्रित कर अपने स्तर से प्राथमिकी (आरसी 68ए/96) दर्ज की.

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