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स्थानीय उद्योगों को मिलेगा 50 फीसदी लौह अयस्क!

रांची: झारखंड में लौह अयस्क से जुड़े करीब 50 से अधिक उद्योग बंद हो गये हैं. कई बंद होने के कगार पर हैं. ये उद्योग बाजार से अधिक कीमत पर लौह अयस्क की खरीद करते थे. कभी-कभी तो इन्हें लौह अयस्क मिलता भी नहीं था. इन सब परेशानियों के बीच कई उद्योगों ने अपना कारोबार […]

रांची: झारखंड में लौह अयस्क से जुड़े करीब 50 से अधिक उद्योग बंद हो गये हैं. कई बंद होने के कगार पर हैं. ये उद्योग बाजार से अधिक कीमत पर लौह अयस्क की खरीद करते थे. कभी-कभी तो इन्हें लौह अयस्क मिलता भी नहीं था. इन सब परेशानियों के बीच कई उद्योगों ने अपना कारोबार समेट लिया. इससे करीब 50 हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गये. सरकार अब ऐसे उद्योगों को बचाने के लिए पहल करेगी.

ओड़िशा सरकार की तरह झारखंड में भी 50 फीसदी लौह अयस्क स्थानीय उद्योगों को देने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स की इस मांग को सरकार ने गंभीरता से लिया है. खान निदेशक बीबी सिंह ने बताया : चेंबर की ओर से प्रस्ताव मिला है. इसके लिए नीति में बदलाव करना होगा. विभाग हाइकोर्ट के आदेश को देखते हुए राज्य सरकार के पास नीति में संशोधन का प्रस्ताव भेजेगा. सरकार भी चाहती है कि स्थानीय उद्योगों का संरक्षण हो.

क्या है चेंबर का प्रस्ताव : चेंबर के अध्यक्ष विकास कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और खान सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य में जितना लौह अयस्क का उत्पादन होता है, उसका 50 फीसदी यहां के स्थानीय उद्योगों के लिए आरक्षित किया जाये. ओड़िशा हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि वहां की सरकार को 50 फीसदी लौह अयस्क राज्य के खनिज आधारित उद्योगों के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया है. इस्पात सचिव ने भी 2012 में ही राज्य सरकारों को 50 फीसदी लौह अयस्क स्थानीय उद्योगों को देने की बात कही थी.

ओड़िशा सरकार ने मेमो जारी किया है कि हाइकोर्ट के आदेशानुसार मिनरल उत्पादन करनेवाली कंपनियां 50 प्रतिशत लंप्स व फाइन राज्य के मिनरल आधारित उद्योगों को दे. यही प्रावधान झारखंड में भी किया जाना चाहिए, ताकि उद्योग बंद न हो. लोग बेरोजगार न हो. अभी यहां की खनन कंपनियां दूसरे राज्यों को लौह अयस्क बेच देती है, जिस कारण स्थानीय उद्योग बंद हो रहे हैं.

अमृतांशु प्रसाद, इडी, आधुनिक ग्रुप

जो प्रमुख उद्योग बंद हुए हैं
चांडिल स्पंज (चांडिल), जय मंगला (चांडिल), बिहार स्पंज (चांडिल), बिमलदीप स्टील (गम्हरिया), नीलांचलन आयरन एंड पावर लि (कांड्रा), बल्लभ स्टील (सरायकेला), विस्को स्पंज (गम्हरिया), एस राज स्पंज (पलगाम), समृद्धि स्पंज (चांडिल),नरसिंघ इस्पात (चौका), एसएसआर (चौका), साइन मेटालिक्स (चौका) सती आयरन एंड स्टील, ओमदयला इंगट प्रा लि, जादवपुर स्टील, सूर्या मेटल, आशीर्वाद स्पंज, प्रिस्को स्पंज व अन्य.

नोट : इनके अलावा रामगढ़, गिरिडीह में स्पंज आयरन के कई उद्योग बंद हो चुके हैं या बंदी के कगार पर हैं.

क्यों बंद हो रही हैं इकाइयां
उद्योगों को लौह अयस्क समुचित तरीके से मिले, इसके लिए सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. चौका स्थित डिवाइन एलॉय एंड पावर इंडस्ट्रीज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर केके मुखर्जी कहते हैं : आयरन ओर न मिलने की वजह से यह सब हो रहा है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. पहले 3600 रुपये टन आयरन ओर की कीमत थी. अब बढ़ कर पांच हजार रुपये टन हो गयी है. इससे उत्पाद का लागत बढ़ता जा रहा है. बाजार में प्रतिस्पर्धा भी है. ऐसे स्थिति में यूनिट चलाना मुश्किल है. सरकार पहले जेएसएमडीसी से कोयला उपलब्ध करवाती थी. पर अभी वह भी नहीं मिल रहा है.

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