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हजारीबाग में थानेदार रहते कैलाश ने दूध व स्क्रैप बेच कर लाखों कमाये

रांची: हजारीबाग के विभिन्न थानों में थानेदार रहते कैलाश प्रसाद ने दूध और स्क्रैप का कारोबार कर लाखों रुपये कमाये हैं. स्क्रैप का काम उनकी पत्नी के नाम पर चलता था. इस बात की जानकारी हजारीबाग एसीबी टीम को कैलाश प्रसाद की संपत्ति की जांच के दौरान मिली है. कैलाश प्रसाद ने एसीबी को अपने […]

रांची: हजारीबाग के विभिन्न थानों में थानेदार रहते कैलाश प्रसाद ने दूध और स्क्रैप का कारोबार कर लाखों रुपये कमाये हैं. स्क्रैप का काम उनकी पत्नी के नाम पर चलता था. इस बात की जानकारी हजारीबाग एसीबी टीम को कैलाश प्रसाद की संपत्ति की जांच के दौरान मिली है. कैलाश प्रसाद ने एसीबी को अपने आय-व्यय का जो ब्योरा दिया है.

उसके अनुसार उन्होंने कृषि से अपना आय 1.9 लाख रुपये दिखाया है. 1992 से लेकर वर्ष 1997 के बीच दूध बेच कर उन्होंने 1.40 लाख रुपये कमाये. इसके अलावा स्क्रैप के कारोबार से 3.23 लाख रुपये मिले. यह कारोबार उनकी पत्नी के नाम पर होता था. उनकी पत्नी ने इसके लिए टिन नंबर लिया था और आयकर भी जमा किया है. लेकिन कैलाश प्रसाद ने खटाल कहां रखा था, उसके पास कितने गाय या भैंस थे.


गाय को खिलाने-पिलाने में कितना खर्च हुआ. खर्च के बाद कितने का लाभ हुआ. यह सब बातें वह एसीबी के अधिकारियों को नहीं बता रहे हैं. वह खटाल या गाय होने से संबंधित कोई ठोस साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. इधर, एसीबी की ओर से हजारीबाग डीआइजी से कैलाश प्रसाद के बारे में कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी गयी है. लेकिन डीआइजी कार्यालय से भी एसीबी को कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है. कैलाश प्रसाद पर अवैध कोयला के कारोबार में शामिल होने और ट्रक व दूसरी गाड़ियां भी चलाने का आरोप है. लेकिन अभी तक की जांच में इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
एसीबी को दिखायी कुल 43 लाख की वैद्य संपत्ति
उन्होंने अपने पास कुल 43 लाख की वैद्य संपत्ति होने की जानकारी एसीबी को दी है. एसीबी को जांच के दौरान उनकी विभिन्न स्थानों पर जमीन और प्रापर्टी होने की भी जानकारी मिली है. इसके बारे में हजारीबाग एसीबी की टीम गहराई से जांच कर रही है. उल्लेखनीय है कि एक शिकायत के आधार पर कैलाश प्रसाद की संपत्ति की जांच एसीबी ने वर्ष 2003 से शुरू की थी. जांच के लिए मामला दर्ज किया गया था. दूध के व्यवसाय से प्राप्त आमदनी से एसीबी के अधिकारी संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि उस दौरान दूध की कीमत कम थी. कैलाश प्रसाद भी अपनी संपत्ति की सही-सही जानकारी देने में एसीबी के अधिकारियों को सहयोग नहीं कर रहे हैं. इस कारण जांच के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी एसीबी के अधिकारी यह पता नहीं लगा पा रहे हैं कि कैलाश प्रसाद की कितने रुपये की वैद्य या अवैध संपत्ति है.

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