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बकोरिया कांड: एससीआरबी डीआइजी हेमंत व एसआइ हरीश का हुआ बयान, पलामू डीआइजी और दोनों एसपी को नहीं थी घटना की जानकारी

रांची : पलामू के चर्चित बकोरिया कांड की जांच तेज हो गयी है. आठ जून 2015 को यह घटना हुई थी. हाइकोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन पलामू रेंज के डीआइजी रहे हेमंत टोप्पो और तत्कालीन पलामू सदर थाना प्रभारी हरीश पाठक का बयान मामले के अनुसंधानकर्ता एसपी सुनील भास्कर और पर्यवेक्षणकर्ता एसटीएफ आइजी आरके […]

रांची : पलामू के चर्चित बकोरिया कांड की जांच तेज हो गयी है. आठ जून 2015 को यह घटना हुई थी. हाइकोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन पलामू रेंज के डीआइजी रहे हेमंत टोप्पो और तत्कालीन पलामू सदर थाना प्रभारी हरीश पाठक का बयान मामले के अनुसंधानकर्ता एसपी सुनील भास्कर और पर्यवेक्षणकर्ता एसटीएफ आइजी आरके धान ने लिया है.

हेमंत टोप्पो का बयान आइजी ने गुरुवार को और एसपी ने शुक्रवार को उनके एससीआरबी स्थित कार्यालय में जाकर लिया. वरीय सूत्रों के मुताबिक डीआइजी ने अपने बयान में कहा है कि जिस दिन घटना हुई, वे नेतरहाट से रात के 9:30 बजे वापस पलामू लौटे थे.

रात के एक बजे तत्कालीन डीजीपी ने उनको फोन कर बताया था कि कोबरा के साथ सतबरबा में नक्सलियों की मुठभेड़ हो गयी है. इसके बाद उन्होंने पलामू के तत्कालीन एसपी कन्हैया मयूर पटेल और लातेहार के तत्कालीन एसपी अजय लिंडा को फोन किया. लेकिन दोनों एसपी ने मुठभेड़ की जानकारी नहीं हाेने की बात कही. इसके बाद पलामू सदर थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी हरीश पाठक से पूछा, तो उन्होंने बस इतना बताया कि पूरब साइड से गोली चलने की आवाज आयी है. पाठक ने भी पूरब से गोली की आवाज सुनने की बात कही है.

बयान के दौरान एसपी और आइजी के स्तर से डीआइजी से पूछा गया कि आपको घटना की कैसे जानकारी मिली. जानकारी मिलने के बाद आपने क्या किया. जिस समय आप घटनास्थल पर पहुंचे थे, उस वक्त वहां कौन-काैन था. क्या मुठभेड़ के बाद वहां पर 12 नक्सलियों के शव पड़े थे. मौके वारदात का मुआयना से क्या पता चला था. उल्लेखनीय है कि घटना में मारे गये पारा शिक्षक उदय यादव के परिजन के पिटीशन पर सुनवाई के दौरान 24 नवंबर को हाइकोर्ट ने डीआइजी हेमंत टोप्पो और एसआइ हरीश पाठक का बयान दर्ज करने का आदेश सीआइडी को दिया था. इस मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की थी. जांच में कई खामियां पाने के बाद दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने को कहा था. इस आधार पर दोनों एसआइ पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी. जबकि एक अफसर की मौत हो चुकी है. मामले मेें अब भी पांच-छह नक्सलियों की पहचान नहीं हो पायी है. न ही मामले की सीआइडी जांच ही पूरी हुई है.

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