-चार वर्षो में भी फीस तय नहीं-
रांचीः सरकार भी इन स्कूलों को नामांकन के लिए निर्देश देकर ही अपना काम पूरा मान लेती है. शिक्षा विभाग बीपीएल बच्चों के लिए निजी स्कूलों को दिये जाने वाले शुल्क का निर्धारण नहीं कर सका है. फलस्वरूप केंद्र सरकार यह राशि नहीं दे रही है. केंद्र का कहना है कि जब तक राज्य सरकार की ओर से शुल्क का निर्धारण नहीं किया जाता, राशि नहीं मिलेगी. राज्य सरकार द्वारा बीपीएल बच्चों के शुल्क निर्धारण के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया था. इसके तहत एक बच्चे के लिए स्कूल को 425 रुपये प्रति माह देने की बात कही गयी थी. पर इसकी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी.
राजधानी में 2500 सीट
राजधानी में मान्यता प्राप्त लगभग 50 सीबीएसइ व आइसीएसइ स्कूल हैं. एक स्कूल में इंट्री क्लास में लगभग दो सौ सीटें होती हैं. इस तरह 50 स्कूलों में दस हजार सीट है. ऐसे में प्रति वर्ष लगभग 2500 सीट पर बीपीएल बच्चों का नामांकन होना है. झारखंड में वर्ष 2010 से यह अधिनियम प्रभावी है. ऐसे में गत चार वर्षो में दस हजार बीपीएल बच्चों का नामांकन होना चाहिए था. नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 09 के तहत इन बच्चों का दाखिला होना था. सरकार व निजी स्कूल प्रबंधन की उदासीनता के कारण चालू शिक्षा वर्ष में भी बच्चों का नामांकन नहीं हो सका है.
निजी स्कूलों ने बीपीएल बच्चों का नामांकन लिया है. बीपीएल बच्चों की पढ़ाई को लेकर सरकार की ओर से जो सहयोग मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला. स्कूलों को अगर उनके खर्च के अनुरूप शुल्क नहीं मिलेगा तो स्कूलों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है.
अजीत खेस, प्राचार्य संत जेवियर्स स्कूल
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप निजी स्कूलों को 25 फीसदी बीपीएल बच्चों का नामांकन लेना है. प्रावधान के अनुरूप स्कूल नामांकन ले रहे हैं. जो स्कूल नियम का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है.
एल आर सैनी, निदेशक डीएवी रांची जोन-चार