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बेंगलुरू से भाग 20 मजदूर पहुंचे रांची

– कसमार व रामगढ़ के रहनेवाले हैं मजदूर – 12 घंटे काम के मिलते थे डेढ़ दो सौ रुपये साप्ताहिक – पहल के लिए चुनाव बाद भाकपा (माले) मिलेगी सीएम से रांची/बोकारो : दो जून की रोटी की किल्लत किस तरह जिंदगी पर आफत बन टूटती है इसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों से अधिक कौन […]

– कसमार व रामगढ़ के रहनेवाले हैं मजदूर

– 12 घंटे काम के मिलते थे डेढ़ दो सौ रुपये साप्ताहिक

– पहल के लिए चुनाव बाद भाकपा (माले) मिलेगी सीएम से

रांची/बोकारो : दो जून की रोटी की किल्लत किस तरह जिंदगी पर आफत बन टूटती है इसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों से अधिक कौन जानता है. बेंगलुरू से भाग कर वापस रांची आये रामगढ़ व बोकारो के बीस मजदूर इसी ट्रेजेडी की गवाह हैं. फिलहाल इन मजदूरों को सीपीआइ (एमएल) के काली स्थान रोड स्थित कार्यालय में शरण मिली है.

ठेकेदार ने छला : मजदूरों ने बताया कि उन्हें इस वर्ष 21 जनवरी को उमेश महतो नामक ठेकेदार काम दिलाने व अच्छी मजदूरी दिलाने के नाम पर बेंगलुरू ले गया था.

मजदूरों को बेंगलुरू के हसन रोड स्थित अशोकापाली, थाना इडु क्षेत्र में नंदी फोम कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम दिलाया गया. वहां निर्माणाधीन एक रेलवे ब्रिज में इनसे काम लिया जा रहा था. बतौर मिस्त्री को 12500 रुपये व हेल्पर को आठ हजार रुपये महीने की बात कही गयी थी. बेंगलुरू में इन मजदूरों को बंधुआ मजदूरों की तरह रोजाना 12 घंटे काम के एवज में डेढ़ दो सौ रुपये साप्ताहिक दिये जाते थे.

चुनाव के बाद होगी पहल: सीपीआइ (एमएल) के अनिल अंशुमन एवं एक्टू राज्य सचिव सुखदेव प्रसाद ने कहा कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री से मिल कर इस मामले में कार्रवाई का आग्रह किया जायेगा. बेंगलुरू प्रशासन तक इस मुद्दे की जानकारी देकर मजदूरों को बकाया मजदूरी का भुगतान, मजदूरों को हर्जाना दिलाने तथा दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही जायेगी.

वापस आने वाले मजदूर : बसंत कुमार महतो, अंदू महतो, पंचम महतो, नरेंद्र कुमार, रवींद्र कुमार, कृपीलाल महतो, विकास महतो, चेतलाल महतो, सोहन मुंडा, किशोर कुमार, ऋषिलाल महतो, डबलू महतो, रुपलाल महतो, शंभु मुंडा, सुरेंद्र मुंडा, रमेश महतो, अमृत महतो, मनीष महतो, गुड्ड महतो, शिवशंकर कानवार.

मजदूरी की मांग पर पिटाई

बंगलुरू से लौटे मिस्त्री अमृत कुमार महतो (टांगटोना कसमार बोकारो निवासी) ने बताया कि मजदूरी की जब भी मांग की गयी तो उन्हें पीटा गया. उसके अलावे दूसरे मजदूरों की भी पिटाई हुई. तीन महीने तक काम करने के बाद प्रताड़ना से तंग आकर सभी लोग भाग निकले.

भूखे प्यासे बेटिकट पहुंचे

प्रताड़ना से तंग आकर सभी मजदूर यशवंतपुर हटिया ट्रेन से बिना टिकट के रांची पहुंचे. लगभग तीन दिन तक सभी मजदूरों ने सिर्फ पानी पीकर सफर किया. इनके पास खाने को पैसे नहीं थे. इस दौरान ट्रेन में टीटी ने इनके साथ सहयोग किया.

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