रांची: बुंडू-चांडिल एरिया के सब-जोनल कमांडर नक्सली रंगलाल मुंडा, उर्फ मोटू उर्फ हाथी उर्फ शंकर ने शनिवार को रांची पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया. वह बुंडू के गायजारा का रहनेवाला है. सरेंडर के बाद सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत उसे प्रथम किस्त के रूप में नकद 50 हजार रुपये दिये गये. यह जानकारी शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में डीआइजी प्रवीण सिंह ने दी. डीआइजी ने कहा कि रंगलाल मुंडा की तलाश रांची पुलिस को 11 नक्सली घटनाओं में थी. सात मामलों में पुलिस उसे फरार दिखाते हुए न्यायालय में चाजर्शीट समर्पित कर चुकी है. अन्य नक्सली घटनाओं में अनुसंधान चल रहा था. मौके पर एसएसपी प्रभात कुमार, ग्रामीण एसपी सुधीर झा, एएसपी अभियान हर्षपाल सिंह और जगन्नाथपुर थानेदार रतन कुमार शामिल थे.
बताया जाता है रंगलाल मुंडा जब आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार हो गया, तब वरीय अधिकारियों के निर्देश पर जगन्नाथपुर थानेदार रतन कुमार को व्यवसायी बना कर रंगलाल के घर भेजा गया. श्री कुमार ने उसे अपनी सुरक्षा में ले लिया और बुंडू से डीआइजी ऑफिस पहुंचे.
एक माह से था पुलिस के संपर्क में
डीआइजी ने बताया कि रंगलाल मुंडा एक माह पूर्व संगठन छोड़ चुका था. संगठन से नाराज रंगलाल दोबारा वहां नहीं जाना चाहता था. जब इस बात की सूचना पुलिस को मिली, तब पुलिस ने उसकी पत्नी से संपर्क किया. रंगलाल को सरकार की सरेंडर पॉलिसी से अवगत कराया गया. इसके बाद रंगलाल सरेंडर करने को तैयार हुआ. डीआइजी ने कहा संगठन छोड़ने के कारण रंगलाल का हथियार संगठन के पास ही रह गया. वह हथियार के साथ सरेंडर नहीं कर सका.
संगठन में होता है शोषण
रंगलाल मुंडा ने बताया कि नक्सली संगठन में काफी शोषण होता है. उसने संगठन में रहते हुए कई बड़े नक्सलियों के निर्देश पर काम किया, लेकिन संगठन ने उसे कुछ नहीं दिया. उसकी पत्नी भी परेशान रहती थी. बड़े नक्सली शोषण करते थे. पुलिस से बचने के लिए जंगलों में रात-रात भर भटकना पड़ता था. दक्षिणी छोटानागपुर जोनल के कई नक्सली संगठन से अलग हो चुके हैं. संगठन बिखराव की स्थिति में है.