रांची: मानव संसाधन विकास मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा है कि सरहुल पर्व प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है. हमारी संस्कृति बहुत पुरानी है. प्रकृति से हमारा संबंध अनंतकाल से रहा है. लोगों का जीवन उसी पर निर्भर है. भाषा, संस्कृति व प्रकृति से हम सभी को प्यार करना चाहिए. इसे संरक्षित व विकसित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.
बुधवार को श्रीमती उरांव बतौर मुख्य अतिथि, रांची विवि के जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के अखड़ा में आयोजित सरहुल महोत्सव को संबोधित कर रही थी. उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद डा रामदयाल मुंडा अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन सरहुल महोत्सव में उनकी कमी खल रही है. कुलपति डॉ एलएन भगत ने कहा कि सरहुल पर्व पर्यावरण संतुलन का पाठ पढ़ाता है. साथ ही राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है. यह समय प्रकृति की रक्षा का संकल्प लेने का है. मंगल सिंह मुंडा ने कथा प्रस्तुत की. डा केसी टुडू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
पहान ने विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करायी. अखड़ा में मांदर की थाप पर मंत्री गीताश्री उरांव ने आदिवासी नृत्य कर लोगों का मन मोह लिया. मुकुंद नायक ने नागपुरी गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के बीच में जर्मनी की 11 सदस्यीय टीम भी पहुंच गयी. टीम के सदस्यों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ नृत्य में साथ दिया. गीत व नृत्य ने लोगों को प्रकृति के साथ जुड़ने व उसकी विविधताओं को जानने का अवसर प्रदान किया. डा त्रिवेणी साहू ने कार्यक्रम का संचालन किया. इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी, डा बीपी केसरी, डा करमा उरांव, डा गिरिधारी राम गोंझू, डा हरि उरांव, डा उमेश नंद तिवारी, सुभाष साहू, डा आरबीपी सिंह, राजाराम महतो सहित काफी संख्या में विद्यार्थी व गणमान्य लोग उपस्थित थे.