रांची: बहू की हत्या कर पेड़ पर टांगने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा पाने के बावजूद मुजरिम पुलिस की पकड़ से बाहर है. वहीं दूसरे राज्य के अपराधियों को बुला कर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिलाने और हथियार रखने के जुर्म में चार-चार साल के सश्रम कारावास की सजा पानेवाले पति-पत्नी फरार हैं. लंबे अरसे से इन मुजरिमों की तलाश जारी है, ताकि उन्हें सजा भुगतने के लिए जेल भेजा जा सके.
बहू की हत्या कर उसे पेड़ पर टांगने का मामला हटिया थाना क्षेत्र का है. दीपा कुमारी की शादी रंजीत सिंह से हुई थी. 30 अप्रैल 1990 को उसकी हत्या कर फांसी का रूप देने के लिए लाश को पेड़ से टांग दिया गया. दीपा का पति बाहर का करता था. वह अपने सास-ससुर के साथ रहती थी. घटना के बाद दीपा के पिता इंद्रदेव ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए हटिया थाने में प्राथमिकी ( 84/90) दर्ज करायी.
न्यायायुक्त की अदालत ने मामले की सुनवाई (सेशन ट्रायल केस नंबर-31/91) के बाद अपना फैसला सुनाया. अदालत ने छेदी सिंह और उनकी पत्नी आनंदी सिंह को बहू दीपा सिंह की हत्या का दोषी करार दिया. अदालत ने जून 1991 को दोनों मुजरिमों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. मुजरिमों ने हाइकोर्ट में अपील(153/1991) दायर की. अपील स्वीकार होने के बाद जमानत मिली. हाइकोर्ट ने वर्ष 2006 में अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए छेदी सिंह व आनंदी सिंह को निचली अदालत द्वारा दी गयी आजीवन कारावास की सजा बहाल रखी. हाइकोर्ट से फाइल लौटने के बाद न्यायायुक्त ने दोनों मुजरिमों को गिरफ्तार करने के लिए वारंट जारी किया. बाद में उनके खिलाफ कुर्की जब्ती का वारंट जारी किया. मुजरिम अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.