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राजधानी के निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना हुआ महंगा

-टय़ूशन फीस में सौ से 290 रुपये तक की वृद्धि -वार्षिक शुल्क भी बढ़ा -स्कूल फीस में 20 फीसदी तक वृद्धि रांचीः राजधानी के निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना और महंगा हो गया है. नये सत्र में स्कूलों के शिक्षण शुल्क में एक बार फिर 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. अब […]

-टय़ूशन फीस में सौ से 290 रुपये तक की वृद्धि

-वार्षिक शुल्क भी बढ़ा

-स्कूल फीस में 20 फीसदी तक वृद्धि

रांचीः राजधानी के निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना और महंगा हो गया है. नये सत्र में स्कूलों के शिक्षण शुल्क में एक बार फिर 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. अब अभिभावकों को बढ़ा हुआ शुल्क जमा करना होगा. स्कूलों ने मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि की है. कुछ स्कूलों ने जहां शुल्क बढ़ोतरी का नोटिस अभिभावकों को दे दिया है, वहीं कुछ स्कूल शुल्क बढ़ाने की तैयारी में है. शिक्षण शुल्क के साथ-साथ बस किराये में भी बढ़ोतरी हुई है. प्रतिमाह शिक्षण शुल्क में 100 से 300 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है. कुछ स्कूलों ने वार्षिक फीस में भी वृद्धि की है. शुल्क वृद्धि से अभिभावक परेशान हैं. अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में शिक्षा इतनी महंगी हो गयी है कि अब बच्चों को वहां पढ़ाना संभव नहीं है. ऐसा लगता है कि इन स्कूलों पर से सरकार का नियंत्रण ही नहीं है.

कुछ स्कूलों में प्रतिमाह टय़ूशन फीस के साथ-साथ वार्षिक शुल्क में भी बढ़ोतरी की गयी है. वार्षिक शुल्क में 200 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हुई. स्कूलों के वार्षिक शुल्क में एकरूपता नहीं है. सभी स्कूलों का वार्षिक शुल्क अलग-अलग है.

एक हजार तक बोझ बढ़ा

एक अभिभावक पर एक माह में एक हजार रुपये तक का आर्थिक बोझ बढ़ गया है. एक बच्चे पर शिक्षण शुल्क व बस किराया मिला कर प्रतिमाह लगभग पांच सौ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ा है. इस तरह दो बच्चे पर प्रति माह में एक हजार रुपये तक का बोझ बढ़ा है.

बस भाड़ा में 150 रु की वृद्धि

स्कूल बस के किराये में भी 50 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रतिमाह तक की बढ़ोतरी हुई है. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि गत वर्ष डीजल की कीमत में वृद्धि के कारण यह आवश्यक हो गया था. उल्लेखनीय है कि वर्ष में लगभग तीन माह स्कूल बंद रहता है. इस दौरान बसों का परिचालन नहीं होता है. कुछ स्कूल वर्ष में एक माह का बस किराया नहीं लेते हैं, जबकि अधिकांश स्कूल बारह माह का किराया लेते हैं. गर्मी व शीतकालीन अवकाश के अलावा अन्य छुट्टियों के लिए भी किराये में कोई राहत नहीं दी जाती.

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