पुलिस के अनुसार अभी तक की जांच में 50 लाख से अधिक की धोखाधड़ी की बात सामने आयी है. धोखाधड़ी में मिली रकम को एजेंट के बीच भी बांटे गये हैं. पुलिस के अनुसार विक्रम प्रताप सिंह पूर्व में कांके में रहता था, लेकिन धोखाधड़ी के बाद वह कांके छोड़ कर ओरमांझी थाना क्षेत्र में रहने लगा. पुलिस के अनुसार विक्रम को सबसे पहले ओरमांझी पुलिस ने पकड़ा था. जब उसके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में शिकायत दर्ज कराने कोई थाना नहीं पहुंचा, तब मामले की जानकारी कांके थाना की पुलिस को दी गयी. जानकारी मिलने के बाद कांके पुलिस आरोपी को ओरमांझी थाना से ले गयी और गिरफ्तार कर लिया.
उल्लेखनीय है कि विक्रम प्रताप राठौर सरकारी योजना के अंतर्गत सस्ते दर पर वाहन और राशन कार्ड सहित अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने का वादा करता था. वह खुद को सरकारी विभाग का अधिकारी भी बताता था. योजना का लाभ दिलाने का नाम पर उसने कई लोगों से पैसे भी वसूले, लेकिन उसने किसी को योजना का लाभ नहीं दिलाया. जब लोगों के रुपये वापस नहीं मिले, तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है. वह अपना नाम बदल कर भी विभिन्न स्थानों पर रहता था. वह दड़दाग गांव में गैस कनेक्शन, बच्चों को छात्रवृत्ति, आवास और ऋण दिलाने के नाम पर रुपये वसूल चुका था. इसी आरोप में पहले ग्रामीणों ने उसे पकड़ कर ओरमांझी पुलिस को सौंपा था. पुलिस को जांच- पड़ताल में यह भी पता चला है कि वह अनगड़ा प्रखंड में भी कई लोगों को ठग चुका है. ओरमांझी पुलिस को दीपक कुमार श्रीवास्तव ने बताया है कि वह कोडरमा में कृषि विभाग में कलर्क का काम करता है.