ऑफसेट प्रिंटिंग से ऑफिस में काम आनेवाले हर तरह के स्टेशनरी का सामान बनाया जा रहा है़ झारखंड हाइकोर्ट में जेेल से बने स्टेशनरी का प्रयोग हो रहा है़ केवल झारखंड हाइकोर्ट से ही 1़ 60 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होती है़ उसी प्रकार से राज्य के कई अस्पताल मेें लाल कंबल, तौलिया, परदा, साबुन, फिनायल सप्लाई किया जाता है़ महिलाएं टेबुल क्लोथ पर इंबोड्री करती है, जो कि बाजार मेें काफी अच्छी कीमत पर बिकता है़ कैदियाें द्वारा बनायी गयी पेंटिंग भी काफी अच्छी कीमत पर बाजार में बिकती है़ होटवार जेल के परिसर में कैदियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के लिए एक दुकान बनी हुई है, लोग वहां से भी सामान खरीदते हैं. कैदियों से मिलने आनेवाले परिजन भी वहां से सामान खरीदते हैं, उससे भी राजस्व की प्राप्ति होती है़.
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हर साल राज्य को पांच करोड़ राजस्व दे रहे हैं कैदी
रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार रांची के कैदी राज्य के लिए सोने की चिड़िया साबित हो रहे हैं. जेल में रह कर कैदी बहुत तरह के काम कर रहे हैं और राज्य को पांच करोड़ का राजस्व हर साल दे रहे हैं. जेल में वर्तमान में 2698 कैदी हैं, जिनमें 93 महिलाएं शामिल […]
रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार रांची के कैदी राज्य के लिए सोने की चिड़िया साबित हो रहे हैं. जेल में रह कर कैदी बहुत तरह के काम कर रहे हैं और राज्य को पांच करोड़ का राजस्व हर साल दे रहे हैं. जेल में वर्तमान में 2698 कैदी हैं, जिनमें 93 महिलाएं शामिल हैं. जेल में कैदी ऑफसेट प्रिंटिंग, कपड़ा बुनाई, कंबल, साबुन, फिनायल, तेल, पेंटिंग का काम और खेती कर रहे हैं.
ऑफसेट प्रिंटिंग से ऑफिस में काम आनेवाले हर तरह के स्टेशनरी का सामान बनाया जा रहा है़ झारखंड हाइकोर्ट में जेेल से बने स्टेशनरी का प्रयोग हो रहा है़ केवल झारखंड हाइकोर्ट से ही 1़ 60 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होती है़ उसी प्रकार से राज्य के कई अस्पताल मेें लाल कंबल, तौलिया, परदा, साबुन, फिनायल सप्लाई किया जाता है़ महिलाएं टेबुल क्लोथ पर इंबोड्री करती है, जो कि बाजार मेें काफी अच्छी कीमत पर बिकता है़ कैदियाें द्वारा बनायी गयी पेंटिंग भी काफी अच्छी कीमत पर बाजार में बिकती है़ होटवार जेल के परिसर में कैदियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के लिए एक दुकान बनी हुई है, लोग वहां से भी सामान खरीदते हैं. कैदियों से मिलने आनेवाले परिजन भी वहां से सामान खरीदते हैं, उससे भी राजस्व की प्राप्ति होती है़.
झारक्राफ्ट भी देता है हर साल एक करोड़ का आर्डर : झारक्राफ्ट से भी एक करोड़ से अधिक का आर्डर हर साल जेल को मिलता है़ झारक्राफ्ट कच्चा माल जेल को देता है और जेल के कैदी उन कच्चा माल से डिजायनर कंबल, कपड़ा और तौलिया बना कर देते हैं, जो काफी अच्छी कीमत पर बिकते हैं. इस प्रकार कुल मिला कर पांच करोड़ का राजस्व हर साल जेल राज्य सरकार को देता है.
मुख्य सचिव जेल इंडस्ट्री पर दे रही हैं ध्यान
मुख्य सचिव राजबाला वर्मा जेल इंडस्ट्री पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं. जेल से निर्मित वस्तुओं को बाहर के व्यवसाय से जोड़ना चाह रही हैं, ताकि राज्य को और अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके़ इधर, रांची के डीसी मनोज कुमार ने जिले के हर विभाग में जेल से बने स्टेशनरी का प्रयोग करने का आदेश दिया है़ अब जिले में जेल से बने स्टेशनरी का ही प्रयोग किया जायेगा़
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