हाजीपुर : समाज में व्याप्त अंध विश्वास, आडंबर और रूढ़िवादिता समेत अन्य सामाजिक कुरीतियों को मिटाना ही संत रविदास का उद्देश्य था. संत शिरोमणि ने मानव कल्याण का जो मार्ग दिखाया है, उस पर चलते हुए सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ा कर ही उनके उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है.
इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए दलित-महादलित समाज को एक सूत्र में बंधना होगा. संत रविदास की 640वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने ये विचार प्रकट किया. अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन भारत की जिला इकाई के तत्वावधान में रविवार को जयंती समारोह का आयोजन किया गया. स्थानीय संस्कृत महाविद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए अमृत राम ने कहा कि संत रविदास आडंबर और पाखंड के घोर विरोधी थे. उन्होंने मन की पवित्रता और कर्म की प्रधानता पर जोर दिया. उनके विचारों पर चलने की आवश्यकता है.
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जनार्दन राम, गणेश राम, मिथिलेश कुमार, नारायण दास, नथुनी राम, जिला प्रभारी डाॅ केसी कुमार, रामचंद्र राम, शिवजी राम, द्रव्येश्वर राम, बालेंद्र दास, बालेश्वर दास, प्रतिमा कुमारी, सिकंदर दास, सुनील दास, महेंद्र राम आदि ने विचार प्रकट किया. वक्ताओं ने संगठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संगठन को गांव-गांव में मजबूत बनाने की आवश्यकता बतायी. कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के जिलाध्यक्ष फरेश राम ने की. उपाध्यक्ष धनेश्वर दास ने संचालन किया. डॉ जयशंकर प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया. संगठन के सचिव विद्यानंद, शिवजी राम, विजय कुमार, रामजी राम, आदि उपस्थित थे.