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मिलेगा पांच सौ लोगों को रोजगार

पहल. औद्योगिक क्षेत्र में खुल रहे नये कल-कारखानों से जगी विकास की आस जब चिमनियों से धुआं निकलना हुआ बंद, तो कामगारों के घर में चूल्हे भी हो गये ठंडे हाजीपुर : हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में डेढ़ दर्जन कारखानों के बंद हो जाने के बावजूद नगर में औद्योगिक विकास की आस टूटी नहीं है. सुकून […]

पहल. औद्योगिक क्षेत्र में खुल रहे नये कल-कारखानों से जगी विकास की आस

जब चिमनियों से धुआं निकलना हुआ बंद, तो कामगारों के घर में चूल्हे भी हो गये ठंडे
हाजीपुर : हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में डेढ़ दर्जन कारखानों के बंद हो जाने के बावजूद नगर में औद्योगिक विकास की आस टूटी नहीं है. सुकून की बात है कि यहां 73 औद्योगिक इकाइयां अभी भी चल रही हैं. इनमें कार्यरत मजदूर हर दिन यही दुआ करते हैं कि कारखाने की मशीनें इसी तरह हमेशा खटखट करती रहें, ताकि इनकी रोजी-रोटी सलामत रहे. इनके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में 15 कल-कारखाने निर्माणाधीन हैं. खुलने वाले कल-कारखानों ने रोजी-रोजगार की नयी उम्मीद जगायी है. लगभग 11 करोड़ की लागत से खोली जा रही विभिन्न फैक्टरियों में लगभग पांच सौ लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. इन फैक्टरियों में प्लास्टिक गुड्स, आटा-सूजी-मैदा, मिनरल वाटर, आयुर्वेदिक दवा, मसाले, सीड्स आदि के उत्पादन होना हैं.
जब सपनों को लगे थे पंख : दशकों पहले हाजीपुर को औद्योगिक नगर बनाने का सपना दिखाया गया था. जब यहां कल-करखाने लगने शुरू हुए, तो इस सपने को पंख लग गये. रोजगार के अवसर बढ़े और विकास की संभावनाएं परवान चढ़ीं. क्षेत्र के बेरोजगार नौजवानों का हौसला बढ़ा. एक के बाद एक फैक्टरियां खुलनी शुरू हुईं. बेरोजगार हाथों को काम भी मिलने लगा. बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के अंतर्गत हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में लगभग एक सौ कल-कारखाने स्थापित हुए. इनमें हजारों कामगारों को रोजी-रोटी मिली. कालांतर में, जब यहां एक के बाद एक फैक्टरियां बंद होने लगी, तो इनमें काम करनेवाले सैकड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी छिनती चली गयी. फिर से बेरोजगार हुए इन कामगारों के लिए वह सुनहरा सपना आज दुस्वप्न में बदल चुका है.
बंद हुईं फैक्टरियां, बेरोजगार हुए लोग : औद्योगिक क्षेत्र में 18 कल-कारखाने बंद हो चुके हैं. इन बंद फैक्टरियों के सैकड़ों कामगार बेरोजगारी और घोर आर्थिक तंगी में जीवन बसर करने को विवश हैं. काम की तलाश में ये मजदूर यहां से दूसरे प्रदेश में पलायन को मजबूर हैं. लगभग साढ़े दस करोड़ की लागत से स्थापित विभिन्न फैक्टरियों के बंद हो जाने से पांच सौ से अधिक परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी. बंद पड़े उद्योगों में राज्य सरकार की तीन औद्योगिक इकाई भी शामिल हैं. इन कारखानों के बंद होने के पीछे कार्यशील पूंजी का अभाव, उद्यमियों में रुचि की कमी समेत कई कारण बताये जाते हैं. कारण चाहे जो भी हों, लेकिन इन कारखानों की चिमनियों से जब धुआं निकलना बंद हुआ, तो कामगारों के घर में चूल्हे की आग भी ठंडी होने लगी.
औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़े कल-कारखाने : जीएनएमएस प्लास्टिक प्रा. लि., टाइडेंट ट्यूब्स लिमिटेड, नूतन गारमेन्ट्स प्रा. लि., लीसा केमिकल्स, सुपर कंच प्रा. लि., एपिक केमिकल्स प्रा. लि., वैशाली ऊलेन मिल लिमिटेड, सुनील पोली प्लास्ट लिमिटेड, बिहार राज्य फल-सब्जी विकास निगम, बिहार राज्य इलेक्ट्रोनिक्स विकास निगम, आरइओ, दीप पोली फ्लैक्सिन, पीवीसी प्रोसेसर्स, कार्ल वन इपेक्स प्रा. लि., वैशाली जरदा इंडस्ट्रीज, कुमार एंड कुमार सर्जिकल, भोला इलेक्ट्रोनिक्स एंड एलो कंपनी प्रा. लि., पूर्णामिका फूड्स इंडिया प्रा. लि. .
निर्माणाधीन नयीं फैक्टरियां : श्री प्लास्टिक, केएन पैकेजिंग, स्वदेशी प्लास्ट प्रा. लि., सुजाता फूड प्रा. लि., ग्रामोद्योग, प्लास्टिक इंडस्ट्रीज, क्वालिटी इंडस्ट्रीज, फ्लावर मिल्स प्रा. लि., श्री एंड सन्स प्रा. लि., मानसी विवरेजेज, जय गंगा फूड्स, आनंद केमिकल्स, वैद्यनाथ शोध संस्थान, उपजाऊ सीड्स, सुंदर प्लास्टिक.

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