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उम्मीद. िजला पर्षद का नया बोर्ड आया अिस्तत्व में जिला पर्षद का नया बोर्ड अस्तित्व में आया है. नया कार्यकाल शुरू हुआ है तो लोगों में यह आशा भी जगी है कि पर्षद अधूरे पड़े विकास कार्यों को पूरा करा सके. मालूम हो कि जिला पर्षद की ठप योजनाओं में गांवों के विकास से जुड़े […]

उम्मीद. िजला पर्षद का नया बोर्ड आया अिस्तत्व में

जिला पर्षद का नया बोर्ड अस्तित्व में आया है. नया कार्यकाल शुरू हुआ है तो लोगों में यह आशा भी जगी है कि पर्षद अधूरे पड़े विकास कार्यों को पूरा करा सके. मालूम हो कि जिला पर्षद की ठप योजनाओं में गांवों के विकास से जुड़े ऐसे कार्य शामिल हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती.
हाजीपुर : त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था का सर्वोच्च केंद्र जिला पर्षद अपने वजूद में आ गया है. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुने जाने के बाद पर्षद के नये बोर्ड पर जिलावासियों की उम्मीदें टिक गई हैं. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जिला पर्षद की कई योजनाएं अधूरी पड़ी हैं. नये बोर्ड के सामने लंबित विकास योजनाओं को पूरी करने के साथ-साथ नई योजनाओं को लागू करने की चुनौती होगी.
अधर में हैं पेयजल की योजनाएं : जिला परिषद् में पिछले दो वर्षों के दौरान अफसरशाही, अड़ंगेबाजी और आपसी खींचतान के कारण जनता की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी लगभग ढाई सौ योजनाओं पर ग्रहण लग गया था. विकास कार्यों के ठप पड़ जाने से उन सुदूर गांवों में मायूसी छा गई थी, जहां इसकी रोशनी पहुंचनी थी.
जिला पर्षद में अभियंता नहीं, कैसे होगा काम? : विकास कार्यों को लेकर जिला परिषद् के नये बोर्ड पर जनता की निगाहें टिकी हैं, लेकिन जिला पर्षद में कर्मियों का घोर अभाव है. सबसे बड़ी समस्या है कि अभियंता विहीन जिला पर्षद अपनी योजनाओं को कैसे आगे बढ़ायेगा. पिछले साल नवंबर में तत्कालीन डीडीसी एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ओम प्रकाश यादव ने पर्षद के सभी अभियंताओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें डिसमिस या निलंबित कर दिया था.
श्री यादव ने तब कथित तौर पर कर्त्तव्य में लापरवाही, आदेश की अवहेलना और विकास योजनाओं की जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए जिला अभियंता मुकेश दास और सहायक अभियंता भगवान सिंह को बरखास्त कर दिया था. जबकि दो कनीय अभियंता रवि रंजन प्रसाद सिन्हा एवं सुरेश प्रसाद सिंह को निलंबित कर दिया था. तब से जिला पर्षद बिना अभियंता के चल रहा है.
कर्मचारियों का भी है यहां टोटा : अभियंता तो खैर हैं ही नहीं, कर्मचारियों का भी जिला परिषद् में भारी टोटा है. कुल मिलाकर 7-8 कर्मचारी ही जिला परिषद् का सारा कामकाज संभाल रहे हैं. बीते वर्षों में एक के बाद एक कर्मचारी सेवानिवृत होते चले गये, लेकिन एक भी नई बहाली नहीं हो सकी. इसका नतीजा है कि जिला परिषद् कर्मियों की कमी झेल रहा है. इससे परिषद् का काम-काज बुरी तरह प्रभावित होता है.
इतने महत्वपूर्ण काम हैं जिला पर्षद के जिम्मे : ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और लोक कल्याण के जिन कार्यों के लिए जिला परिषद् को उत्तरदायी बनाया गया है, यदि सही ढंग से धरातल पर इनका क्रियान्वयन हो तो गांवों की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी. जिला परिषद् को जिले के अंदर स्वास्थ्य केंद्र, औषधालयों की स्थापना, परिवार कल्याण तथा पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के लिए विभिन्न तरह के कार्यों को अंजाम देना है.
इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भी उसके काम हैं. शैक्षणिक कार्यकलापों को प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना करना, जन शिक्षा पर जोर देते हुए पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध कराना, छात्रावासों, आश्रमों और अनाथालयों की स्थापना व अनुरक्षण का कार्य करना है.
इसके अलावे अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए गांवों में कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों का प्रशिक्षण देने के लिए कल्याण केंद्रों और शिल्प केंद्रों का संचालन तथा इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विपणन की सुविधा उपलब्ध कराना और सहकारी समितियों का गठन करना आदि जिला परिषद् के कार्यों का हिस्सा है.
खाली सीट पर 28 जुलाई को चुनाव : 41 सदस्यीय जिला परिषद् में खाली रह गई एक सीट पर 28 जुलाई को चुनाव होगा. 30 जुलाई को मतगणना होगी. नामांकन दाखिल करने के लिए 8 से 15 जुलाई तक की तिथि निर्धारित की गई है. निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम निर्धारित कर दिये जाने के बाद उम्मीदवारों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. मालूम हो कि जिला परिषद के संपन्न हुए चुनाव के दौरान क्षेत्र 12 में एक प्रत्याशी की मृत्यु हो जाने के कारण वहां का चुनाव स्थगित हो गया था. पातेपुर प्रखंड का यह क्षेत्र अनारक्षित है.
सामान्य कोटि का क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र संख्या 12 में संभावित उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त दिख रही है. बताया जा रहा है कि जिले के अन्य क्षेत्रों के निवर्तमान जिला पार्षद, जो इस बार के चुनाव में परास्त हो चुके हैं, इस सीट पर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. भूतपूर्व हो चुके कई दिग्गज यहां से भाग्य आजमाना चाह रहे हैं.
क्या कहते हैं नये अध्यक्ष
जिला पर्षद के नये बोर्ड के अस्तित्व में आने के साथ ही हम सभी अपने दायित्वों के निर्वहन में प्रयत्नशील हो गये हैं. शीघ्र ही बोर्ड की बैठक बुलाने के लिए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से आग्रह किया जायेगा. बोर्ड की बैठक में लंबित पड़े कार्यों की समीक्षा के बाद इस पर त्वरित गति से कार्य करने का निर्णय लिया जायेगा. नया बोर्ड अपने कार्यों को ससमय पूरा कराने का प्रयास करेगी.
प्रभु साह, अध्यक्ष जिला पर्षद वैशाली
लंबित पड़ी योजनाओं को पूरा कराना बोर्ड के लिए चुनौती
रोशनी और सड़क की योजनाएं लंबित
पर्षद की इन योजनाओं में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की राशि से सभी क्षेत्रों में चापाकल लगाने, सोलर लाइट लगाने, ईंट सोलिंग और मिट्टी भराई आदि कार्य होने हैं. 13वें वित्त आयोग के फंड से गांवों में पीसीसी सड़क का निर्माण, जबकि बीआरजीएफ की राशि से पीसीसी सड़क के अलावे पक्के नालों का निर्माण होना है. इन योजनाओं के अधर में पड़ जाने से ग्रामीण क्षेत्रों की एक बड़ी आबादी पेयजल, रोशनी और सड़क जैसी आवश्यक सुविधाओं से वंचित है.

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