अनदेखी. चुनाव के शोर में गुम हो गया शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने का संकल्प
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शहरी क्षेत्र में बढ़ी गंदगी
अनदेखी. चुनाव के शोर में गुम हो गया शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने का संकल्प नहीं हो रही सफाई जिला प्रशासन की घोषणा पर नहीं हुआ अमल बरसात की शुरुआत से ही जलजमाव का सामना कर रहे शहर के लोग नालों की उपयुक्त सफाई नहीं करने की बात कहते हुए इसके लिए प्रशासन की लानत-मलानत कर […]
नहीं हो रही सफाई
जिला प्रशासन की घोषणा पर नहीं हुआ अमल
बरसात की शुरुआत से ही जलजमाव का सामना कर रहे शहर के लोग नालों की उपयुक्त सफाई नहीं करने की बात कहते हुए इसके लिए प्रशासन की लानत-मलानत कर रहे हैं लेकिन इसके वास्तविक कारण पॉलीथिन के उपयोग पर वे चुप हो जाते हैं. जिला प्रशासन द्वारा शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाने की घोषणा ने पंचायती चुनाव के शोर में दब कर दम तोड़ दिया और नप इस मामले में निष्क्रिय बना रहा.
हाजीपुर : इस वर्ष के प्रारंभ में जिला पदाधिकारी, वैशाली ने शहर को पॉलीथिनमुक्त घोषित करते हुए इसके लिए सतत कार्रवाई की घोषणा की थी लेकिन चार माह बाद भी उसका कहीं असर नहीं दिख रहा है. इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिला पदाधिकारी रचना पाटील ने शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा करते हुए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने और 10 फरवरी के बाद इसके उपयोगकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई की भी घोषणा की थी.
फरवरी से शुरू हो गयी पंचायत चुनाव की प्रक्रिया : जिला प्रशासन अपनी इस घोषणा पर अमल करते हुए इसके पूर्व ही पूरे जिले में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी और पूरा प्रशासन चुनाव संपन्न कराने में व्यस्त हो गया. फरवरी से प्रारंभ हुआ पंचायत चुनाव जून के अंतिम सप्ताह तक चलने की संभावना है. इस कारण यह आशा की जा सकती है कि चुनाव संपन्न होने के बाद जिला प्रशासन अपनी घोषणा को अमल में लाये.
बंद हो जाते हैं नाले : पॉलीथिन के उपयोग का सबसे ज्यादा खामियाजा नागरिकों को बरसात के दिनों में तब भुगतना पड़ता है, जब उनके द्वारा फेंके गये पॉलीथिन से शहर के छोटे-बड़े नाले जाम हो जाते हैं. नालों के जाम होने के कारण शहर को जलजमाव का शिकार होना पड़ता है और लोग नप की लानत-मलानत करते हैं.
पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं पॉलीथिन : लोगों द्वारा प्रयुक्त पॉलीथिन काफी हानिकारक है. इसके जलाने से निकलनेवाली हानिकारक गैस कई गंभीर रोगों की कारक है. वहीं पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है. यह न तो पूरी तरह जलता है और न पूरी तरह गलता है. इस कारण यह पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाता है.
नर्सिंग होमों के कारण फैलता है ज्यादा कचरा : शहर में संचालित नर्सिंग होम के पास मेडिकल कचरा निबटाने की व्यवस्था नहीं हैं और वे अपने कचरे को सड़कों पर उड़ेल देते हैं या नाले में डाल देते हैं. शहर में उपयोग किये गये पॉलीथिन का ज्यादातर हिस्सा निजी नर्सिंग होमों के द्वारा सड़कों एवं नाले पर डाले जाते हैं.
जागरूकता के साथ ही दंड की हो व्यवस्था : बुद्धिजीवियों का कहना है पॉलीथिन के उपयोग के विरुद्ध जनजागरूकता अभियान चलाने के साथ ही इसके लिए दोषियों के विरुद्ध आर्थिक दंड और कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है. वहीं, घोषणा के बावजूद जिला प्रशासन ने इसे लेकर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया. इसके साथ ही उपयोगकर्ता पर कार्रवाई के पूर्व इसके विपणन पर कारगर रोक की आवश्यकता है. यदि विपणन पर कारगर रोक लग जाती है, तो धीरे-धीरे उपयोग भी समाप्त हो जायेगा.
नप नहीं दिखता सक्रिय : शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा भले ही जिला पदाधिकारी ने की हो और जिला प्रशासन पंचायती चुनाव में व्यस्त हो, लेकिन इस मामले में नप कोई अभिरुचि नहीं दिखा रही है. बगैर नप की सक्रियता की इस महत्वाकांक्षी योजना को सफल बनाना संभव नहीं दिखता. नप की सक्रियता से दोषी के विरुद्ध कार्रवाई संभव है, क्योंकि यह शक्ति उसी के पास है.
क्या कहते नप उपसभापति
नगर परिषद शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने के लिए कृतसंकल्पित है. कई बार परिषद के कर्मचारियों ने इसके लिए अभियान चलाया है. शीघ्र ही फिर से सघन जनजागरूकता अभियान चला कर इसका उल्लंघन करनेवालों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
निकेत कुमार, उपसभापति
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