क्या किसी बड़ी घटना के बाद संभलेगा प्रशासन !
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सुरक्षा में चूक. छपरा कोर्ट परिसर में विस्फोट के बाद फिर उठा न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था का मामला
क्या किसी बड़ी घटना के बाद संभलेगा प्रशासन ! कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में हैं कई खामियां कोर्ट परिसर में लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे पहले मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय परिसर और उसके बाद सोमवार को छपरा व्यवहार न्यायालय में हुई घटना के बाद यह सवाल काफी प्रासंगिक हो गया है कि न्यायालय परिसर की […]
कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में हैं कई खामियां
कोर्ट परिसर में लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे
पहले मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय परिसर और उसके बाद सोमवार को छपरा व्यवहार न्यायालय में हुई घटना के बाद यह सवाल काफी प्रासंगिक हो गया है कि न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कारगर है. परिसर की सुरक्षा व्यवस्था देखते हुए सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि कोई भी आदमी जब चाहे किसी अापराधिक घटना को अंजाम देकर आसानी से चला जायेगा. न्यायालय की सुरक्षा में तैनात जवान अपने बैरक में पड़े रहते हैं. शायद वे रात्रि प्रहरी की भूमिका में हों.
हाजीपुर : क्या जिला प्रशासन किसी बड़ी अापराधिक घटना की प्रतीक्षा कर रहा है, जिसके बाद समाहरणालय और व्यवहार न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की योजना बनायी जायेगी! पहले मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय परिसर और उसके बाद सोमवार को छपरा व्यवहार न्यायालय में घटित घटनाओं के बाद यह सवाल काफी प्रासांगिक हो गया है. कोर्ट परिसर की सुरक्षा में प्रशासन की खामियों को साफ महसूस किया जा सकता है. लोगों का कहना है कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने के लिए अपराधियों को काफी मशक्कत करने की जरूरत नहीं है.
हर घटना के बाद कुछ दिनों के लिए सजग होता है प्रशासन : राज्य के किसी कोने में न्यायालय परिसर में किसी अापराधिक घटना के बाद जिला प्रशासन कुछ दिनों तक तो सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चौकस दिखता है, लेकिन फिर अपने पुराने ढर्रे पर चल पड़ता है. कुछ दिनों तक आने-जाने वालों की जांच और परख होती है और घटना पुरानी होते ही प्रशासन अपने रूटीन कार्य में व्यस्त हो जाता है और कोर्ट परिसर में लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी जाती है.
क्या है सुरक्षा व्यवस्था : व्यवहार न्यायालय के दोनों परिसरों में सुरक्षा की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. दोनों परिसरों में कोई भी व्यक्ति कहीं भी जा सकता है. कोई रोकनेवाला नही है. कारगिल परिसर के गेट पर एक अनुसेवी अवश्य प्रतिनियुक्त है, जो दिन भर वहां बैठ कर आने-जाने वालों पर निगाह रखता है. लेकिन वह अकेला क्या कर सकता है. किसी से कुछ कहने पर उसे ही झिड़क दिया जाता है और वह चुप हो जाता है.
नहीं रहता है कोई सुरक्षा बल : इस प्रवेश द्वार पर गृहरक्षक की भी तैनाती है, लेकिन वह कभी नहीं दिखता और जब तैनात अनुसेवी किसी से किसी बात पर उलझ भी जाता है, तब भी उसकी सहायता में कोई नहीं आता है.
अनधिकृत वाहन के प्रवेश पर है रोक : पिछले दिनों जब कारगिल परिसर की हाजत के निकट बम विस्फोट हुआ था, उसके बाद विधिज्ञ संघ के साथ बैठक कर न्यायालय प्रशासन ने कहा था कि परिसर के अंदर केवल कर्मचारी और अधिवक्ताओं के ही वाहन प्रवेश कर सकेंगे. इस निर्णय के आलोक में प्रवेश द्वार पर एक अनुसेवी और दो गृहरक्षकों की तैनाती की गयी थी. इस दौरान परिसर में विधि-व्यवस्था बनी रहती थी.
अनधिकृत वाहन का प्रवेश निषेध रहने के कारण गाड़ियों की भीड़ भी नहीं दिखती थी. न्यायालय प्रशासन ने कुछ दिनों तक तो इस पर सख्ती से अमल किया, लेकिन धीरे-धीरे वह बात समाप्त हो गयी.
कभी हो सकती है कोई बड़ी घटना : परिसर की सुरक्षा व्यवस्था देखते हुए सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि कोई भी आदमी जब चाहे, किसी अापराधिक घटना को अंजाम देकर आसानी से चला जायेगा. न्यायालय की सुरक्षा में तैनात जवान अपनी बैरक में पड़े रहते हैं, शायद वे रात्रि प्रहरी की भूमिका में हों.
कहीं नहीं है सीसीटीवी कैमरा : पिछले दिनों एसपी ने जिले के सभी विद्यालयों एवं बैंक प्रतिनिधियों के साथ बैठक में सभी संस्थानों से सीसीटीवी कैमरा लगाने का अनुरोध किया था और उसके बाद कई संस्थानों ने अपने परिसर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये लेकिन व्यवहार न्यायालय परिसर में कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है, जिससे किसी घटना के बाद उसका साक्ष्य मिल सके.
कई बार हुई हैं घटनाएं : वर्ष 2014 में व्यवहार न्यायालय के कारगिल परिसर में स्थित हाजत के निकट ताबड़तोड़ कई बम विस्फोट हुए थे. उस घटना में भले ही कोई हताहत नहीं हुआ था, लेकिन कई लोग जख्मी हुए थे और कई कैदी फरार हो गये थे. इसके अलावा छोटी-बड़ी मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं, जिसे देखनेवाला परिसर में कोई नहीं है.
कैदी हाजत के निकट लगता है जमावड़ा : न्यायालय परिसर में स्थित कैदी हाजत के ऊपर हुई बमबारी की घटना को जेल पुलिस और जिला पुलिस के जवानों ने इस कदर भुला दिया कि यहां हर समय मुलाकातियों की भीड़ लगी रहती है. ये मुलाकाती कैदियों के लिए सामान भी देते हैं, जिसे तैनात कर्मी बगैर किसी जांच-पड़ताल के कैदी वाहन में डाल लेते हैं, जो कभी किसी बड़ी घटना का कारण बन सकता है. इस दौरान कर्मी केवल वसूली में व्यस्त रहते हैं.
व्यवहार न्यायालय से ज्यादा सुरक्षित है समाहरणालय : व्यवहार न्यायालय एवं समाहरणालय परिसर एक-दूसरे के सटे स्थित है लेकिन दोनों की सुरक्षा व्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर है. समाहरणालय प्रवेश द्वार पर लगातार एक-दो गृह रक्षक तैनात रहते हैं, जो अनधिकृत वाहनों के प्रवेश को नियंत्रित करते हैं. इसके साथ ही प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जो आगंतुकों की हर गतिविधि पर नजर रखता है.
क्या कहते हैं लोग
न्यायालय परिसर में सुरक्षा की कोई पुख्ता व्यवस्था है, ऐसा नहीं दिखता. मैं कई बार अपने काम से परिसर में था और लोगों को नि:संकोच मारपीट करते देखा है. इससे स्पष्ट है कि यहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. इससे ज्यादा तो लोग गांवों में लोग प्रशासन से डरते हैं.
राजकुमार सिंह, राघोपुर
परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को कठोर बनाया जाना चाहिए. यहां आने-जानेवालों पर कोई रोक नहीं है. आने-जानेवालों की जांच और सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की जाये, जिससे आगंतुकों पर नजर रहे. सुरक्षा गार्डों को बैरक में रखने के बदले काम में लगाया जाना चाहिए.
शशि मोहन प्रसाद सिंह , प्रदेश महासचिव, प्रगतिशील अधिवक्ता मंच
सीजेएम ने लिया संज्ञान
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