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नशामुक्ति केंद्र. शराब छुड़ाने के लिए आउटडोर में 40 का हुआ इलाज

बढ़ने लगी है मरीजों की संख्या सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा दल और आवश्यक दवाएं उपलब्ध जिले में शराब के आदी हो चुके लोगों की सेहत सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाया जा रहा है. शराब की लत छुड़ाने के लिए जिला, अनुमंडल और रेफरल अस्पताल से लेकर पीएचसी तक इलाज की […]

बढ़ने लगी है मरीजों की संख्या

सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा दल और आवश्यक दवाएं उपलब्ध
जिले में शराब के आदी हो चुके लोगों की सेहत सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाया जा रहा है. शराब की लत छुड़ाने के लिए जिला, अनुमंडल और रेफरल अस्पताल से लेकर पीएचसी तक इलाज की व्यवस्था की गयी है.
हाजीपुर : सदर अस्पताल स्थित नशामुक्ति केंद्र को 20 बेड का बना दिया गया है. इसके साथ ही जिले के महुआ अनुमंडल अस्पताल में भी 10 बेड का नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है.
जिले में शराब के अभ्यस्त हो चुके लोगों की सेहत सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं. शराब की लत छुड़ाने के लिए जिला, अनुमंडल और रेफरल अस्पताल से लेकर पीएचसी तक इलाज की व्यवस्था की गयी है.
जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नशा मुक्ति के लिए काउंसेलिंग और आउटडोर की अलग से व्यवस्था की गयी है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा दल और आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं. वहीं, इसका सबसे अच्छा परिणाम देखा जा रहा है कि कई मरीजों की लत छूटने भी लगी है.
महुआ में डीएसी से सुदूर क्षेत्र के लोगों को लाभ : शराबबंदी को सफल बनाने और शराब की आदत छुड़ा कर शराबियों को स्वस्थ और सामान्य बनाने के उद्देश्य से जिला मुख्यालय में अब 20 बेड के डी-एडिकशन सेंटर के अलावा महुआ अनुमंडल अस्पताल में भी 10 बेडों का डीएडिक्शन सेंटर स्थापित किया गया है.
महुआ में नशा मुक्ति केंद्र खुलने से जिले के सुदूर इलाके के लोगों का इलाज आसान हो जायेगा. नशामुक्ति केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि महुआ, चेहराकलां, पातेपुर आदि प्रखंडों से आनेवाले मरीजों को अब लंबी दूरी तय कर हाजीपुर आने की बाध्यता नहीं रहेगी. आवश्यकता पड़ने पर ही मरीज वहां से रेफर किये जा सकेंगे.
कल से प्रखंडों में होगी मॉक ड्रिल एवं प्रशिक्षण : पूर्ण शराबबंदी के बाद अवैध रूप से शराब का उत्पादन और इसके सेवन की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जहरीली शराब से हुक ट्रेजडी की आशंका जतायी है. मेथनॉल प्वाइजनिंग और हुक ट्रेजेडी की स्थिति से निबटने के लिए जिला मुख्यालय में किये गये मॉक ड्रिल के बाद अब प्रखंड स्तर पर यह कार्यक्रम किया जायेगा.
16 से 23 अप्रैल के बीच चार स्थानों पर प्रशिक्षण एवं मॉक ड्रिल का आयोजन होगा. इनमें चार-चार पीएचसी को शामिल किया गया है. 16 अप्रैल को पीएचसी, देसरी, 18 को अनुमंडल अस्पताल महुआ, 19 को रेफरल अस्पताल लालगंज एवं 23 अप्रैल को पीएचसी, बिदुपुर में कार्यक्रम निर्धारित किया गया है.
इनडोर में 13 हुए भरती, शराब के आदतियों की सेहत सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर
डी-एडिक्शन सेंटर में बढ़ी मरीजों की तादाद
सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में इलाज को आनेवाले मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. बीते एक अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच केंद्र के आउटडोर में 40 मरीजों का इलाज हुआ. इनमें 13 मरीजों को इनडोर में भरती किया गया. इनमें अब तक दो मरीजों को गंभीर हालत के कारण एनएमसीएच में रेफर किया जा चुका है.
बुधवार को नशा मुक्ति वार्ड में आधा दर्जन मरीज भरती पाये गये. एक अप्रैल से शराबबंदी के मद्देनजर खोले गये नशा मुक्ति केंद्र में शुरू के आठ नौ दिनों तक इक्के-दुक्के मरीज ही दाखिल हो रहे थे. इधर के तीन-चार दिनों में मरीजों की तादाद बढ़ गयी है. हर दिन औसतन आधा दर्जन मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
बढ़ायी गयी बेडों की संख्या
नशासेवियों के इलाज में बेडों की कमी न पड़े, इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर सदर अस्पताल में 10 बेड वाले डी-एडिक्शन सेंटर में बेडों की संख्या दोगुनी कर दी गयी है. इसके साथ ही केंद्र में दो और चिकित्सा पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किए गये है. इनमें डॉ ब्रजेश शरण और डॉ कृष्ण चंद्र शामिल हैं. मालूम हो कि दो चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशरफ बदर एवं डॉ एसके दिवाकर यहां पहले से तैनात हैं. इस तरह नशा मुक्ति केंद्र में अब मरीजों के इलाज के लिए चार चिकित्सक उपलब्ध हो गये हैं.

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