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हत्यारे पति को दस साल का सश्रम कारावास
बोलेरो खरीदने के लिए पांच लाख रुपये नहीं मिलने पर ले ली थी पत्नी की जान 25 मार्च, 2013 को हुई थी हत्या हाजीपुर : दहेज में बोलेरो खरीदने के लिए पांच लाख रुपये नहीं मिलने पर पत्नी की हत्या कर शव को छुपा देने की स्वीकारोक्ति करने वाले पति को न्यायालय ने 10 साल […]
बोलेरो खरीदने के लिए पांच लाख रुपये नहीं मिलने पर ले ली थी पत्नी की जान
25 मार्च, 2013 को हुई थी हत्या
हाजीपुर : दहेज में बोलेरो खरीदने के लिए पांच लाख रुपये नहीं मिलने पर पत्नी की हत्या कर शव को छुपा देने की स्वीकारोक्ति करने वाले पति को न्यायालय ने 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. महुआ थाना कांड संख्या 53/13 की सुनवाई सत्र वाद संख्या 452/13 के अंतर्गत करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश चतुर्थ भोला नाथ तिवारी ने यह सजा सुनायी.
क्या था आरोप : मृतका रीमा देवी के पिता और पातेपुर थाना क्षेत्र के बाजितपुर गांव निवासी ब्रज किशोर मिश्रा ने पुलिस को दिये बयान में कहा था कि उनकी पुत्री रीमा देवी की शादी सराय थाना क्षेत्र के अंजनी गांव निवासी भागवत सिंह के पुत्र सर्वजीत कुमार के साथ वर्ष, 2006 में हुई थी. शादी के समय कपड़ा, जेवर, फर्नीचर के अलावा बरात खर्च के रूप में 50 हजार रुपये भी दिये थे, लेकिन शादी के बाद से हीं दहेज में बोलेरो खरीदने के लिए पांच लाख रुपये की मांग को लेकर रीमा को उसके पति सर्वजीत कुमार, ससुर भागवत सिंह, सास यशोदा देवी, जेठ अवनेश कुमार एवं गोतनी नीतू कुमारी प्रताड़ित कर रहे थे. 26 मार्च, 2013 को उन्हें सूचना मिली कि रीमा की हत्या कर उसके ससुरालवालों ने शव को कहीं छिपा दिया है.
सूचना के बाद जब वे पहुंचे, तब घर बंद था और वहां कोई नहीं था. खोजबीन के क्रम में उन्हें पता लगा कि ससुराल वालों ने शव को लालगंज थाना क्षेत्र में कहीं छिपा दिया है. लालगंज थाना पहुंचने पर पुलिस ने बताया कि शव बुलआ बसंता की सीमा पर स्थित पोखर की बगल में जंगल में है, जहां जाने पर शव को देख कर पहचाना. वहां पहले से पुलिस मौजूद थी.
हत्या के बाद पति ने की थी स्वरीकारोक्ति : अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद मृतका के पति सर्वजीत कुमार ने सदर थाने में आत्मसमर्पण कर हत्या की बात कबूल की थी. वह उस समय से ही न्यायिक हिरासत में है.
अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध जारी है सुनवाई : मृतका के पिता के बयान पर दर्ज इस मामले में मृतका के पति, सास, ससुर, जेठ और गोतनी को नामजद किया गया था. अनुसंधान के बाद पुलिस ने आरोप पत्र समर्पित किया और उसके आधार पर आरोप गठन के बाद सुनवाई प्रारंभ हुई. मंगलवार को न्यायालय ने पति को सजा सुनायी, जबकि अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध सत्र वाद संख्या 261/13 सुनवाई के लिए इसी न्यायालय में विचाराधीन है.
क्या हुई सजा : इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में पेश 10 साक्षियों के बयान एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद मृतका के पति सर्वजीत कुमार को भादवि की धारा 304 बी/149 एवं 201/149 के अपराध को दोषी पाया. सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने भादवि की धारा 304 बी/149 के लिए 10 साल सश्रम कारावास एवं 201/149 के अपराध के लिए दो साल साधारण कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अर्थदंड का भुगतान नहीं करने पर दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.
क्या कहते हैं मृतका के पिता : सजा सुनाये जाने के समय मौजूद मृतका के पिता और मामले के सूचक ब्रज किशोर मिश्र ने कहा कि हत्या के मामले में केवल 10 साल की सजा उपयुक्त नहीं है. अभियुक्त को उपयुक्त सजा दिलाने के लिए वे उच्च न्यायालय से आग्रह करेंगे.
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