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हाजीपुर-सुगौली नयी रेल लाइन को रेल बजट से है उम्मीद

हाजीपुर सुगौली रेल लाइन को बुद्ध रेल परिक्रमा की एक महत्वपूर्ण कड़ी और भगवान बुद्ध की धरती से जुड़ा रेल नेटवर्क बताते हुए रेल विभाग ने इसे तय समय में पूरा करने का वायदा किया था. 12 साल बीत गये, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ. इस पर 2004 में काम शुरू हुआ था. तब 10 […]

हाजीपुर सुगौली रेल लाइन को बुद्ध रेल परिक्रमा की एक महत्वपूर्ण कड़ी और भगवान बुद्ध की धरती से जुड़ा रेल नेटवर्क बताते हुए रेल विभाग ने इसे तय समय में पूरा करने का वायदा किया था. 12 साल बीत गये, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ. इस पर 2004 में काम शुरू हुआ था. तब 10 फरवरी 2004 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी आधारशिला रखी थी. पांच वर्षों में यानी 2009 तक हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन का काम पूरा कर लेना था. इस माह संसद में पेश होने वाले रेल बजट में हाजीपुर-सुगौली नयी रेल लाइन परियोजना को पूरा होने की उम्मीद है.

हाजीपुर : वैशाली जिला समेत उत्तर बिहार के लाखों लोगों की निगाहें केंद्र सरकार के रेल बजट पर टिकी हुई हैं. लोगों को इस बजट का बेसब्री से इंतजार है. इस इंतजार का वास्ता रेल भाड़े के घटने या बढ़ने से नहीं, बल्कि एक स्वर्णिम सपने के साकार होने से है, जो दशकों से इनकी आंखों में पल रहा है.
आप समझ गये होंगे कि हम हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन की बात कर रहे हैं. महात्मा बुद्ध की तपोभूमि वैशाली को महात्मा गांधी की कर्मस्थली चंपारण से जोड़ने की इस स्वर्णिम रेल परियोजना के पूरा होने को लेकर लोगों में आज से 12 साल पहले जो उम्मीद जगी, वह निराशा में तब्दील होने लगी है. आने वाला बजट बतायेगा कि यह निराशा और गहरी होगी या कि आशा के दीप जलेंगे.
वर्षों से हांफ रही है बुद्ध सर्किट की बड़ी कड़ी :
हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन को बुद्ध रेल परिक्रमा की एक महत्वपूर्ण कड़ी और भगवान बुद्ध की धरती से जुड़ा रेल नेटवर्क बताते हुए रेल विभाग ने इसे तय समय में पूरा करने का वायदा किया था. 12 साल बीत गये, लेकिन लोगों को इंतजार खत्म नहीं हुआ. इस परियोजना पर 2004 में काम शुरू हुआ था.
10 फरवरी ,2004 को तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने इसकी आधारशिला रखी थी. पांच वर्षों में यानी 2009 तक हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन का काम पूरा कर लेना था. काम की जो रफ्तार है, वह बता रही है कि इसके लिए लोगों को शायद अभी काफी इंतजार करना पड़ेगा. सियासी खेल और बजट के अभाव में यह रेल परियोजना वर्षों से हांफ रही है.
खर्च का अनुमान 1500 करोड़, लेकिन मिले अभी तक महज 255 करोड़ : जब योजना पर काम की शुरुआत हुई थी, तो इसकी अनुमानित लागत 324.66 करोड़ रुपये बतायी गयी थी. समय से काम नहीं होने के चलते इसकी लागत बढ़ती चली गयी. वर्ष 2009 के आकलन के मुताबिक यह लागत बढ़ कर 528.65 करोड़ पर पहुंच गयी थी.
इसके सात साल और गुजर जाने के बाद लागत में कितना इजाफा हुआ होगा, इसका अनुमान लगा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि अगर निर्माण कार्य की यही रफ्तार रही, तो इस प्रोजेक्ट पर लगभग 1500 करोड़ से ज्यादा ही का खर्च आयेगा. हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन परियोजना के प्रति केंद्र की कंजूसी इसी से देख सकते हैं कि प्रोजेक्ट के लिए वर्ष 2013-14 में 20 करोड़ और मौजूदा वित्तीय वर्ष में 80 करोड़ रुपये ही जारी किये जा सके.
बाकी है अब भी लगभग 50 फीसदी काम : लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर लंबी रेल लाइन परियोजना का लगभग आधा काम बाकी है. जानकार बताते हैं कि काम में बाधा की मुख्य वजह राशि आवंटन का अभाव है. कई जगहों पर अभी मिट्टी भराई का ही काम चल रहा है. जिले में अब तक हरौली से लेकर वैशाली तक चार स्टेशन भवन का निर्माण और लगभग सौ किलोमीअर तक मिट्टी भराई के काम हुए हैं. जबकि, रेल परियोजना की लंबाई 148.3 किलोमीटर है.
इसमें चार हॉल्ट स्टेशन समेत 15 रेलवे स्टेशन शामिल हैं.
वैशाली से चंपारण तक बनेंगे 15 रेलवे स्टेशन : रेल परियोजना के तहत वैशाली जिले के घोसवर, हरौली, फतेहपुर, घटारों, लालगंज तथा वैशाली, मुजफ्फरपुर जिले के सरैया, पारू, देवरिया तथा साहेबगंज और पूर्वी चंपारण के केसरिया, सिसवा, पटना, विशुनपुर, मधुवन, अरेराज एवं हरसिद्धि में रेलवे स्टेशन होंगे. पश्चिम चंपारण का एक रामपुर स्टेशन होगा. 15 रेलवे स्टेशनों एवं 87 समपार फाटक बनाये जाने की योजना है, लेकिन समपार फाटाकों में कमी लाने के लिए कहीं-कहीं फ्लाइ ओवर बनाने पर भी विचार चल रहा है.
हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन परियोजना :
स्वीकृति का वर्ष -2003-04, पूरक बजट.
कुल लंबाई-148.3 किलोमीटर.
खर्च का अनुमान 1500 करोड़.
मिले अभी तक महज 255 करोड़.
बड़े पुलों की संख्या-छह.
छोटी पुलियों की संख्या-165.
परियोजना से वैशाली जिले के तकरीबन 44 गांव.
मुजफ्फरपुर के 45 और पूर्वी चंपारण के 40 गांव.
पश्चिम चंपारण की दो ग्राम पंचायतों का है जुड़ाव.
नये रेल खंड पर होंगे प्रमुख स्टेशन
हाजीपुर, लालगंज, वैशाली, देवरिया, सोहबगंज, केसरिया, मधुवन, अरेराज और सुगौली.
रेल सेवा से जुड़ने के बाद मिलेगा क्या लाभ
हजारों परिवारों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार.
बढ़ेंगे देशी-विदेशी सैलानी और पर्यटन का होगा विकास.
बौद्ध सर्किट को एक साथ जोड़ने का सपना होगा साकार.

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