हाजीपुर : कहने को जिला अस्पताल है, लेकिन यहां जले या झुलसे मरीजों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. बर्न केस के मरीजों के उपचार की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण कई मरीजों की मौत हो चुकी है. जख्मी मरीजों को राजधानी की शरण लेनी पड़ती है. जबकि ऐसे मरीजों को त्वरित उपचार […]
हाजीपुर : कहने को जिला अस्पताल है, लेकिन यहां जले या झुलसे मरीजों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. बर्न केस के मरीजों के उपचार की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण कई मरीजों की मौत हो चुकी है. जख्मी मरीजों को राजधानी की शरण लेनी पड़ती है.
जबकि ऐसे मरीजों को त्वरित उपचार की आवश्यकता पड़ती है. कई बार ऐसा होता है, जब जले हुए मरीज पटना जाने के दौरान गांधी सेतु पर जाम में फंसने के चलते बीच रास्ते में ही तड़प कर दम तोड़ देते हैं.
इलाज में देरी से चली जाती है जान : जले हुए मरीजों को भरती करने के लिए सदर अस्पताल में न तो बर्न वार्ड है और न ही इसके कोई विशेषज्ञ चिकित्सक हैं. मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधे पीएमसीएच भेज दिया जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि बर्न केस में टाइमिंग सबसे बड़ा फैक्टर है.
यदि मरीज सही समय पर अस्पताल पहुंच जाये और उसका त्वरित उपचार शुरू हो जाये, तो 80 प्रतिशत जल चुके मरीजों की भी जान बचायी जा सकती है.
जाड़े और गरमी दोनों में बढ़ती है मरीजों की संख्या : आग लगने से लोगों के जल जाने या झुलस जाने की घटनाएं ठंड और गरमी दोनों मौसम में बढ़ जाती हैं. ठंड के दिनों में अलाव तापने के दौरान ऐसी घटनाएं होती है. वहीं गरमी के मौसम में अगलगी की घटनाएं बढ़ने के कारण बर्न मरीजों की तादाद बढ़ती है.
अलग वार्ड नहीं होने से इंफेक्शन का खतरा : जले हुए मरीज को सामान्य मरीजों एवं लोगों के संपर्क से दूर रखना होता है. चूंकि इसमें मरीज को काफी इंफेक्शन होता है, इसलिए 40 फीसदी से ऊपर जले हुए व्यक्ति को बर्न यूनिट में रखा जाना जरूरी है.
नहीं हैं विशेषज्ञ और ट्रेंड चिकित्साकर्मी : जले हुए मरीज का सही इलाज तभी संभव है,
जब विशेषज्ञ चिकित्सक के साथ ही विशेष रूप से प्रशिक्षित सर्जिकल स्टाफ मौजूद हों. सदर अस्पताल में ऐसा एक भी ड्रेसर या चिकित्साकर्मी नहीं, जिसे बर्न मामले में उपचार की विशेष जानकारी हो. अस्पताल के एक चिकित्सक का कहना है कि सदर अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि यहां के कुछ कर्मियों को पीएमसीएच के बर्न यूनिट में प्रशिक्षण दिला कर यहां मरीजों का उपचार करायें.
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर अस्पताल में भवन और चिकित्साकर्मियों की कमी के कारण यह नहीं था. अब चूंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ रहा है और मैन पावर का अभाव भी दूर होनेवाला है. इसके बाद इस पर विचार किया जायेगा.
डाॅ इंद्रदेव रंजन, सिविल सर्जन