21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

देर से हुई बारिश ने किसानों के घाव पर लगाया मरहम

हाजीपुर : आधु से अधिक भादो माह बीत जाने के बावजूद पानी नहीं बरसने से चिंतित किसानों को रविवार की देर शाम और सोमवार को हुई बरसा ने राहत प्रदान की,जो उनके घाव पर मरहम के समान साबित हुई. इस बरसात में अपेक्षा के अनुरूप पानी नहीं होने से किसानों के होठ सूख रहे थे, […]

हाजीपुर : आधु से अधिक भादो माह बीत जाने के बावजूद पानी नहीं बरसने से चिंतित किसानों को रविवार की देर शाम और सोमवार को हुई बरसा ने राहत प्रदान की,जो उनके घाव पर मरहम के समान साबित हुई.

इस बरसात में अपेक्षा के अनुरूप पानी नहीं होने से किसानों के होठ सूख रहे थे, क्योंकि धान की फसल बरबाद हो रही थी और किसान धान में पानी दे-देकर थक चुके हैं.

सोमवार को हुई बारिश से उनको बहुत राहत मिली और उनके सूखे होठों पर हल्की मुस्कान खिली. कुछ क्षेत्रों में तो पानी इतना हुआ कि लोग एक ही दिन की वर्षा के बाद पानी बंद होने की कामना करने लगे.

आधे से अधिक धान सूख चुके हैं : इस बरसात में औसत से काफी कम पानी होने के कारण लगभग आधे धान की फसल बरबाद हो चुकी है और किसान निराश होकर धान की फसल को समाप्त करने के विकल्प पर विचार कर रहे थे. मौसम के बदलने से किसानों के चेहरे पर खुशी लौट आयी है.

हाजीपुर रहा सूखा : लंबी प्रतीक्षा के बाद हुए वर्षा के बावजूद हाजीपुर का क्षेत्र सूखा ही रहा और लोग पानी की प्रतीक्षा करते रहें. इसके अलावा जिले के विभिन्न हिस्सों में कमोबेश पानी हुई और किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी है.

क्या कहते हैं किसान

देर से हुई इस बरसात ने किसानों के घाव पर मरहम लगाया है और यदि यह पानी नहीं होता तब किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता. कई किसानों ने तो अपनी फसल को काट कर मवेशी को खिलाना भी प्रारंभ कर दिया था. बसंत कुमार, सलेमपुर

इस वर्षा के बाद लगता है कि धान की फसल हो जायेगी और खरीफ फसलों की भी खेती हो सकेगी. क्योंकि बरसात में पानी नहीं होने पर खरीफ फसलें भी नहीं हो पाती हैं. किसानों के लिए यह अमृत के समान है. राजेश कुमार, सेंदुआरी

धान की खेती कृत्रिम सिंचाई साधनों से संभव नहीं है और किसान कृत्रिम साधनों से धान को बचा कर तो रख सकते हैं फसल तैयार नहीं कर सकते हैं. इस वर्षा से किसानों में आशा जगी है कि धान का फसल हो सकेगी. अवधेश सिंह, बिठौली

पानी की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को सोमवार को आशा जगी है कि धान की फसल हो सकेगी और खरीफ फसलें भी हो सकेंगी. इस पानी से किसानों के चेहरे पर एक बार फिर से खुशी लौट आयी है.

मनोज कुमार, मंसूरपुर नहीं हुई पहल, तो बन सकता है जानलेवा सौ से ऊपर निजी नर्सिंग होम में से किसी के पास भी नहीं है मेडिकल कचरे के निबटान की व्यवस्था

स्वास्थ्य की रक्षा के नाम पर खुले निजी नर्सिंग होम प्रत्येक दिन शहर की सड़कों एवं नालों में बड़ी मात्रा में मेडिकल कचरा फेंक कर स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं और नागरिकों के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं,

लेकिन न तो जिला प्रशासन उन पर कोई नियंत्रण कर रहा है और न ही वे स्वयं इसके समाधान के लिए कोई कदम उठा रहे हैं. यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.

हाजीपुर : शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उग आये लगभग सौ से ऊपर निजी नर्सिंग होम में से किसी के पास भी मेडिकल कचरे के निबटान की व्यवस्था नहीं है, फलत: वह अपने कचरे को सड़क पर या निकट के नाले में बहा देते हैं.

सड़क और नाले पर फेंके जा रहे मेडिकल कचरे न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी घातक है. नालों में मेडिकल कचरा फेंके जाने के कारण शहर क अधिकतर नाले सफाई होने के तत्काल बाद फिर जाम हो जाते हैं और लोगों को जलजमाव की समस्या का सामना करना पड़ता है. सड़कों पर खुले में फेंके गये कचरे न केवल दुर्गंध पैदा करते हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं.

क्या कहते हैं लोग

वैसे निजी नर्सिंग होम जिनके पास मेडिकल कचरा के निबटान की व्यवस्था नहीं है, वैसे नर्सिंग होम का निबंधन समाप्त कर देना चाहिए और नये नर्सिंग होम की स्वीकृति तब तक न दी जाये, जब तक मेडिकल कचरे का निबटान की व्यवस्था उस नर्सिंग होम के पास न हो.

मनोरंजन वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार

सड़क या नाले पर मेडिकल कचरा फेंकने पर संबंधित नर्सिंग होम के विरुद्ध नगर पर्षद दंडात्मक कार्रवाई करे और बार-बार ऐसा करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करे. प्रवीण कुमार, अधिवक्ता

नर्सिंग होम के द्वारा सड़कों एवं नाले में मेडिकल कचरा फेंके जाने की समस्या एक गंभीर समस्या है. जिला प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसा करने वाले संस्थान को प्रतिबंधित कर उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करे.बद्रीनाथ, अध्यक्ष प्रगतिशील अधिवक्ता मंच, बिहार

मेडिकल कचरा के निबटान का उचित वयवस्था नहीं होना एक गंभीर समस्या है. नर्सिंग होम के द्वारा फेंके जा रहे कचरे के कारण पर्षद एवं नागरिकों को परेशानी होती है. ऐसे संस्थान का सर्वेक्षण करा कर पर्षद उनके विरुद्ध कार्रवाई करेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें