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आर्सेनिक जीवन में घोल रहा है ‘जहर’

तटीय इलाके के लोग शुद्ध पानी को तरस रहे पानी की अहमियत भला उनसे बेहतर कौन समझ सकता है, जो पानी के अभाव में जीवन बसर करने को बाध्य हैं. जिले की एक बड़ी आबादी आज भी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रही है. जब आता है गरमी का मौसम, तो और विकट हो जाती […]

तटीय इलाके के लोग शुद्ध पानी को तरस रहे
पानी की अहमियत भला उनसे बेहतर कौन समझ सकता है, जो पानी के अभाव में जीवन बसर करने को बाध्य हैं. जिले की एक बड़ी आबादी आज भी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रही है.
जब आता है गरमी का मौसम, तो और विकट हो जाती है पानी की समस्या. ऐसे में प्यास और तड़प से तल्ख होते लोगों का सीधा सवाल होता है कि आखिर कब मयस्सर होगा पीने का पानी. जब लोगों को पीने का शुद्ध पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा, तो स्वच्छ समाज और स्वस्थ समाज का मिशन कैसे पूरा होगा.
हाजीपुर : जिले में एक तरफ ऐसे अनगिनत गांव-मोहल्ले और टोले हैं, जहां पीने का पानी अभी तक लोगों की पहुंच से दूर है. दूसरी ओर बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं.
आर्सेनिक युक्त पानी पीने की लाचारी ने हजारों लोगों की सेहत को जोखिम में डाल दिया है. प्रदूषित पानी के चलते लोग डायरिया, टाइफायड, कृमि रोग, जॉडिंस आदि के शिकार हो रहे हैं. जिले के गंगा तटीय क्षेत्रों के लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ रहा है. खासकर हाजीपुर, बिदुपुर, देसरी, सहदेई आदि प्रखंड आर्सेनिक प्रभावित माने जाते हैं.
विशेषज्ञ बताते हैं कि जिले में आर्सेनिक से ग्रस्त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. शरीर में आर्सेनिक जमा होने के कारण सफेद या काले धब्बे उभर आते हैं. शरीर की त्वचा पर कड़े और खुरदरे चकत्ता बनना, हथेली एवं तलवे की चमड़ी का मोटा होना और उस पर गाठें पड़ना, सांस लेने की परेशानी एवं खांसी, कमजोरी, अंगुलियों व अंगूठे का सड़ जाना आर्सेनिक के लक्षण हैं. इससे त्वचा, फेफड़े और मुत्रशय का कैंसर भी होता है.
कब पूरी होगी बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना : बिदुपुर प्रखंड क्षेत्र में बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम यदि समय पर पूरा हो गया होता, तो जिले के लगभग 80 गांवों के लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्ति मिल जाती.
जिले के हाजीपुर, बिदुपुर, देसरी और सहदेई प्रखंड के 77 से अधिक गांवों को गंगा का पानी साफ कर आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गयी थी. 2009-10 में शुरू हुई योजना 2011 के अंत तक पूरी हो जानी थी. 136.5 करोड़ की लागत से पूरी होने वाली इस योजना के तहत 96 किलोमीटर में मेन पाइप तथा चार सौ किलोमीटर में ब्रांच पाइप बिछाया जाना है. 2015 में भी यह योजना पूरी होती नहीं दिखरही. इस योजना के नाम पर कई पुराने जलापूर्ति केंद्र भी बंद हो गये, जिससे ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल से वंचित हो जाना पड़ा.
क्या कहते हैं अधिकारी
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम बीच में बाधित हो जाने से यह समय पर पूरा नहीं हो सकी. योजना का काम फिर से शुरू हो गया है. युद्ध स्तर पर काम चल रहा है. शीघ्र ही इसके पूरा हो जाने की उम्मीद है.
इ रामचंद्र प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी.
आर्सेनिक के प्रभाव का लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार आर्सेनिक एक बेहद जहरीला धातु तत्व है और यह तीन रंगोंपीला, काला और भूरे रंग के रूपों में होता है़ आर्सेनिक के जहर का प्रभाव आमतौर पर पांच से 20 वर्षो के बीच होता है.
जानकारी के अनुसार आर्सेनिक के प्रभाव से त्वचा का रंग परिवर्तन, हथेली और तलवों की त्वचा कड़ी होना, त्वचा कैंसर, मूत्रशय, गुरदे एवं फेफड़े का कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, प्रजनन संबंधी विकार व रक्त वाहिकाओं के रोग उत्पन्न होते हैं

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